Devendra Fadnavis React On Hindi language & Raj Thackeray: महाराष्ट्र नगरीय निकाय चुनाव से पहले राजनीति लाभ लेने के लिए एक बार फिर से महाराष्ट्र में ‘हिंदी भाषा’ विवाद का जिन्न बाहर आ गया है। सभी राजनीति पार्टियां महाराष्ट्र में ‘मराठी फर्स्ट’ के तहत हिंदी भाषा को टारगेट कर रहे हैं। राज ठाकरे ने कहा कि बच्चों पर भाषा थोपने की सरकारी कोशिश को हर हाल में रोका जाना चाहिए। इसमें एक तो बच्चों का नुकसान है ही, साथ ही मराठी का भी नुकसान है। महाराष्ट्र में हिंदी पढ़ाना राज्य-द्रोह होगा।

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वहीं महाराष्ट्र में हिंदी का विरोध और राज ठाकरे की इसमें भूमिका पर सीएम देवेंद्र फडणवीस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि हम सब लोग अंग्रेजी की प्रशंसा करते हैं और भारतीय भाषाओं का तिरस्कार करते हैं, ये सही नहीं है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्षेत्रीय भाषा के साथ अतिरिक्त भाषा सीखने में क्या गलत है?

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महाराष्ट्र सरकार ने मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए हिंदी भाषा को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने को लेकर आदेश जारी किया है। हालांकि इसको लेकर वहां पर सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस ने सीएम देवेंद्र फडणवीस पर मराठी लोगों की छाती में छुरा घोंपने का आरोप लगाया है। वहीं राज ठाकरे ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह सरकार की पैंतरेबाजी है कि हिंदी अब अनिवार्य नहीं रहेगी, लेकिन जो छात्र हिंदी पढ़ना चाहें, उनके लिए पाठ्यक्रम उपलब्ध रहेगा। साथ ही स्कूलों से इसके विरोध में खड़े होने की बात कही है।

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महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे ने सरकार के इस आदेश पर खुलकर विरोध जताया है. उन्होंने कहा कि अप्रैल से महाराष्ट्र में शिक्षा विभाग का नया तमाशा शुरू हुआ है। पहले यह फरमान जारी किया गया कि महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा मंडल के पाठ्यक्रम से जुड़ी स्कूलों में पहली कक्षा से ही 3 भाषाएं पढ़ाई जाएंगी। मराठी, अंग्रेजी और हिंदी अनिवार्य भाषा होंगी। जब इस आदेश पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने विरोध जताया तो सरकार ने चुपचाप पैंतरा बदला और कहा कि हिंदी अब अनिवार्य नहीं रहेगी, लेकिन जो छात्र हिंदी पढ़ना चाहें, उनके लिए यह पाठ्यक्रम उपलब्ध रहेगा।

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हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है

हिंदी पर हमला करते हुए राज ठाकरे ने कहा, “सवाल हिंदी भाषा थोपने का है ही नहीं, क्योंकि यह कोई “राष्ट्रभाषा” नहीं है। वह तो उत्तर भारत के कुछ राज्यों में बोली जाने वाली एक क्षेत्रीय भाषा है। यह जहां कहीं भी बोली जाती है, वहां भी अनेक स्थानीय भाषाएं हैं, जो अब हिंदी भाषा के दबाव में आकर लुप्त होने की कगार पर आ गई हैं। अब उन्हें अपनी स्थानीय भाषाएं बचानी हैं या नहीं, यह फैसला उनका है, हमें उससे कुछ भी लेना-देना नहीं है।

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अतिरिक्त भाषा सीखने में क्या गलत हैः देवेंद्र फडणवीस

हिंदी भाषा पर जारी राजनीति और राज ठाकरे के विरोध पर प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि हम सब लोग अंग्रेजी की प्रशंसा करते हैं और भारतीय भाषाओं का तिरस्कार करते हैं, ये सही नहीं है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्षेत्रीय भाषा के साथ अतिरिक्त भाषा सीखने में क्या गलत है?

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सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ”मैंने राज ठाकरे से बात की है। उन्होंने कहा कि केवल दो भाषाएं होनी चाहिए और तीसरी भाषा न थोपें। मैंने उनसे कहा कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उचित विचार-विमर्श के साथ पूरे देश में 3 भाषा नीति लाई है।

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एनईपी पूरे देश के लिए है
 
उन्होंने आगे कहा, ”एनईपी पूरे देश के लिए है और महाराष्ट्र दो भाषा नीति नहीं अपना सकता. तमिलनाडु 3 भाषा नीति के खिलाफ अदालत गया था, जिसे अदालत ने भी स्वीकार नहीं किया. अपनी क्षेत्रीय भाषा सीखते समय अगर कोई छात्र एक अतिरिक्त भाषा सीखता है, तो इसमें क्या गलत है? अतिरिक्त भाषा उनके ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगी. विशेषज्ञों के साथ व्यापक चर्चा के बाद एनईपी लाया गया था।

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