नई दिल्ली नगर परिषद लुटियंस दिल्ली (Lutyens Delhi) के जल नेटवर्क को पुनर्स्थापित करने के लिए एक व्यापक अध्ययन आरंभ करने जा रही है. इसका उद्देश्य अगले 25 वर्षों के लिए एक मास्टरप्लान (Masterplan) तैयार करना है, जिससे नई दिल्ली क्षेत्र में अगले 23 वर्षों तक जल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा. NDMC ने 20 जून को इस परियोजना के लिए सलाहकार नियुक्त करने के लिए टेंडर जारी किया है, जिसकी प्रक्रिया 15 जुलाई तक पूरी होने की संभावना है.
NDMC के उपाध्यक्ष कुलजीत सिंह चहल ने जानकारी दी कि उनका ध्यान पुरानी पाइपलाइनों के उन्नयन, रिसाव की रोकथाम और स्मार्ट मीटर नेटवर्क के एकीकरण पर है. विनय मार्ग और मोती बाग में 24×7 पानी की आपूर्ति के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जिसे जल्द ही अन्य क्षेत्रों में भी लागू किया जाएगा.
आजादी से पहले का है पानी का नेटवर्क
लुटियंस दिल्ली एक विशिष्ट क्षेत्र है, जहां राष्ट्रीय संस्थान, कार्यालय, होटल और लगभग 2.6 से 2 लाख की फ्लोटिंग जनसंख्या प्रतिदिन आती-जाती है. NDMC की रिपोर्ट के अनुसार, इस 42.7 वर्ग किमी के क्षेत्र में 2.25 लाख की स्थायी जनसंख्या निवास करती है. हालांकि, समस्या यह है कि यहां का जल नेटवर्क स्वतंत्रता से पहले का है, जिसमें पुरानी पाइपें और अंडरग्राउंड रिजर्वायर शामिल हैं. झुग्गी-झोपड़ियों तक जल आपूर्ति की चुनौतियों का समाधान इस मास्टरप्लान के माध्यम से किया जाएगा.
पानी की मांग और कमी का गणित
लुटियंस दिल्ली को प्रतिदिन 148 मिलियन लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जबकि दिल्ली जल बोर्ड (DJB) केवल 125 मिलियन लीटर प्रदान करता है. इस प्रकार, दिल्ली में पानी की कमी 250 मिलियन गैलन प्रतिदिन है, जिसका प्रभाव गर्मियों में स्पष्ट रूप से देखा जाता है. NDMC कच्चा पानी दिल्ली जल बोर्ड से 18 इनलेट पॉइंट्स और चार जल उपचार संयंत्रों के माध्यम से प्राप्त करता है. मास्टरप्लान में अतिरिक्त भंडारण और बैकअप सिस्टम पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
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स्मार्ट मीटर्स और हाई-टेक सिस्टम
NDMC ने 31 करोड़ रुपये की लागत से सभी पुराने मैकेनिकल मीटरों को स्मार्ट मीटरों में बदलने का निर्णय लिया है. ये नए मीटर वॉटरप्रूफ, मैग्नेटिकली सील्ड और बिना मूविंग पार्ट्स के होंगे, जो कम और अधिक प्रवाह दोनों को मापने में सक्षम होंगे. इसके अलावा, ये मीटर सेंट्रल SCADA सिस्टम से जुड़े रहेंगे, जिससे पानी के उपयोग पर निगरानी रखना सरल हो जाएगा.
हर घर जल और अंडरग्राउंड रिजर्वायर्स
NDMC के अनुसार, क्षेत्र के सभी घरों में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है, और झुग्गी-झोपड़ियों को ‘हर घर जल’ योजना के तहत जोड़ा जा रहा है. 450 किमी लंबे जल नेटवर्क में 50mm से 900mm तक की पाइपें शामिल हैं, जो 15,970 घरों और 3,157 व्यावसायिक उपभोक्ताओं को पानी प्रदान करती हैं. नॉर्थ एवेन्यू, मंदिर मार्ग, शिवाजी स्टेडियम और मोती बाग जैसे क्षेत्रों में 24 अंडरग्राउंड रिजर्वायर्स भी स्थापित हैं. यह मास्टरप्लान केवल पाइपों के परिवर्तन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पानी की बर्बादी को रोकने, स्मार्ट तकनीक को अपनाने और लुटियंस दिल्ली को जल आपूर्ति में आत्मनिर्भर बनाने की योजना भी शामिल है.
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भूजल दोहन पर लगेगी रोक
एनडीएमसी द्वारा सड़कों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट्स का निर्माण इस प्रक्रिया को संभव बनाता है. इसके साथ ही, एनडीएमसी क्षेत्रों में भूजल के बोरवेल के माध्यम से दोहन पर प्रतिबंध लगाया गया है, और इस नियम का पालन भी सुनिश्चित किया जाता है.
कैसे बनता है मॉड्यूलर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम?
पहले से बने गड्ढों को 20 फीट तक गहरा खोदा जाता है, जिसमें पॉलीप्रोपाइलीन ब्लॉक स्थापित किए जाते हैं. इन ब्लॉकों को बोरवेल के माध्यम से जोड़ा जाता है, और गंदगी को भूजल में जाने से रोकने के लिए इसमें फिल्टर भी लगाए जाते हैं. इसका बाहरी ढांचा सीवर मैनहोल के समान होता है, जिसमें पानी प्रवेश करने के लिए छिद्रित टाइलें होती हैं. पॉलीप्रोपाइलीन ब्लॉक फाइबर से बने होते हैं, जिससे इसे साफ करना आसान हो जाता है, क्योंकि फिल्टर के कारण गंदगी ऊपर ही चिपक जाती है और इसे आसानी से हटाया जा सकता है. बोरवेल का उपयोग सिंचाई के लिए आवश्यकतानुसार किया जा सकता है, और इस प्रणाली पर 5 टन तक का भार सहन किया जा सकता है. चूंकि यह सड़क किनारे स्थापित है, इसलिए वाहन भी इसके ऊपर से आसानी से गुजर सकते हैं.
पारंपरिक वर्षा जल संचयन प्रणाली कैसी दिखती है?
नीचे एक बोरवेल स्थापित किया जाता है, जहाँ पानी एकत्रित किया जा सकता है. कंक्रीट की इमारत या फर्श से पानी को एकत्रित करके ऐसी जगह पर भेजा जाता है जहाँ जमीन असमान हो, और फिर इस पानी को बोरवेल के माध्यम से जमीन में प्रवाहित किया जाता है. इसके ऊपर किसी अन्य वस्तु के गुजरने की अनुमति नहीं होती है.
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