मिथलेश गुप्ता, जशपुर। जिले में बीते 5 दिनों से हो रही भारी बारिश ने पठारी इलाके में मिर्च की फसल लेने वाले किसानों की कमर तोड़ दी है. एक तरफ बारिश की वजह से खेत में फसल गल रही है, तो दूसरी ओर मंडी में बड़ी मात्रा में आवक से बहुत से किसानों की मिर्ची नहीं बिक रही है. मंडी में बिक्री नहीं होने से परेशान किसानों के बोरी के बोरी मिर्ची को नदी में फेंकने का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है.
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किसानों के नदी में मिर्ची की बोरियों को फेंकने के वायरल वीडियो की जब लल्लूराम डॉट कॉम ने पड़ताल की तो पता चला कि किसान मिर्ची पिकअप में लोड कर सरगुजा की मंडी गया था, पता चला कि मंडी में मिर्ची खरीदने को कोई तैयार नहीं है. ऐसे में मिर्ची को वापस घर ले जाने की बजाए पुल पर गाड़ी खड़ी कर नदी में फेंक दिया, और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल कर दिया है.

दरअसल, जशपुर जिले के मनोरा और बगीचा विकासखंड में बड़ी संख्या में किसान मिर्ची का उत्पादन करते हैं. इस साल करीब 2050 एकड़ में मिर्च की फसल लगी हुई है. जशपुर जिले के बगीचा के किसान आशीष चाैधरी बताते हैं कि अभी मिर्ची की तोड़ाई शुरू ही हुई थी कि मौसम की मार पड़ गई. पहली तुड़ाई ही हुई है, लेकिन अभी से मिर्ची के दाम गिरे हुए हैं.
किसान बिरेन्द्र कुजूर ने बताया कि वह पण्ड्रापाठ में लगभग 10 एकड़ में मिर्च का फसल लगाए थे. मिर्च ताेड़ने का लेबर 5 रुपए किलाे लेते हैं, लेकिन मिर्ची ही जब मंडी में 6-7 रुपए में बिक रहा हो ताे ऐसे में किसान मिर्ची काे खेत में ही छाेड़ देना ज्यादा बेहतर है. दाम में कुछ बढ़ोतरी होने पर तुड़ाई के बारे में सोचेंगे.
किसानों का कहना है कि सन्ना के ग्राम लोरो में मिर्ची प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की गई है. लेकिन इसकी शुरुआत नहीं होने से किसानों को बाहरी मंडियों में फसल बेचने के लिए जाना पड़ता है. यही नहीं साथ ही मंडियों में तय कीमत पर निर्भर रहना पड़ता है. मिर्ची प्रोसेसिंग यूनिट शुरू हो जाता तो उनकी फसल का सही कीमत भी मिल जाता और दूसरी जगह बेचने की भी मजबूरी नहीं होती.
इस मामले में कृषि विभाग के एसडीओ राकेश कुमार पैंकरा ने बताया कि इस प्रकार की घटना की जानकारी अभी मिली है. अभी वर्तमान में मिर्ची 12 से 13 रुपए प्रति किलो बिक रही है. इस पर विभाग के मैदानी कर्मचारियों को मौके पर भेजकर जानकारी ली जाएगी.
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