दिल्ली सरकार ने अपने चुनावी वादे के अनुसार ‘दिल्ली ट्रेडर्स वेलफेयर बोर्ड’ के गठन को मंजूरी दे दी है. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (Rekha Gupta)ने बुधवार को दिल्ली सचिवालय में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में इस बात की घोषणा की, जिसे उन्होंने व्यापारियों की समृद्धि के लिए एक नई शुरुआत के रूप में बताया. बोर्ड व्यापारियों की समस्याओं के समाधान के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगा और इज ऑफ डूइंग बिजनेस को वास्तविकता में बदलने का प्रयास करेगा. इससे दिल्ली के आठ लाख व्यापारियों को लाभ होगा. उन्होंने यह भी कहा कि बोर्ड में व्यापारियों की अधिकतम भागीदारी को सुनिश्चित किया गया है.
बोर्ड व्यापारियों के हितों की रक्षा करते हुए आपदाओं या आकस्मिक परिस्थितियों, जैसे आग और बाढ़, में राहत और मुआवज़ा प्रदान करेगा. बोर्ड की संरचना में कुल 15 सदस्य होंगे, जिसमें उद्योग मंत्री अध्यक्ष के रूप में कार्य करेंगे और उपाध्यक्ष का पद व्यापारी समुदाय के किसी प्रतिनिधि को सौंपा जाएगा. इस 15 सदस्यीय बोर्ड में नौ सदस्य व्यापारी समुदाय से और छह सदस्य विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारी होंगे, जिनमें दिल्ली नगर निगम, श्रम विभाग और उद्योग विभाग के प्रतिनिधि शामिल हैं.
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इसका मुख्य उद्देश्य व्यापारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना, व्यापार में आने वाली बाधाओं को समाप्त करना, और कौशल विकास तथा मेंटरशिप को प्रोत्साहित करना है. उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बोर्ड के गठन पर कहा कि अब व्यापारियों को विभिन्न विभागों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. यह बोर्ड यह सुनिश्चित करेगा कि व्यापारियों की सभी आवश्यकताएँ और समस्याएँ एक ही मंच पर सुनी जाएँ और उनका समाधान किया जाए.
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संचालन के लिए 10 करोड़ रुपये का बजट आवंटित
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि बोर्ड के संचालन के लिए 10 करोड़ रुपये की प्रारंभिक ग्रांट-इन-एड जारी की गई है. इसके साथ ही एक वार्षिक व्यापारी कल्याण कोष की स्थापना की जाएगी, जिसमें हर वर्ष अतिरिक्त धनराशि जोड़ी जाएगी. इस कोष का उपयोग व्यापारी समुदाय के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, स्वास्थ्य योजनाएं, बीमा कवर, डिजिटल परिवर्तन और अन्य सहायता योजनाओं के कार्यान्वयन में किया जाएगा. यह योजना सरकार का स्पष्ट संदेश है कि व्यापारी केवल राजस्व देने वाले नहीं, बल्कि दिल्ली की आर्थिक प्रगति के महत्वपूर्ण भागीदार हैं.
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