कुंदन कुमार/ पटना। बिहार सरकार ने राज्य के शिक्षकों को एक बड़ी राहत प्रदान की है। अब शिक्षक अपनी मर्जी से स्थानांतरण की प्रक्रिया को स्वयं पूरा कर सकेंगे। शिक्षा विभाग की ओर से इसके लिए नई व्यवस्था लागू कर दी गई है, जिसके तहत शिक्षक ई-शिक्षक कोष पोर्टल के माध्यम से अपने ट्रांसफर की प्रक्रिया को डिजिटल रूप से संपन्न कर सकेंगे। इस संबंध में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों (डीईओ) को पत्र जारी किया है। उन्होंने कहा कि पहले चरणों में किए गए स्थानांतरण के बावजूद कई शिक्षक असंतुष्ट हैं और लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। कई बार 400 किलोमीटर से कम करके 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थानांतरण किया गया है, फिर भी संतोषजनक स्थिति नहीं बन पाई है।
खुद करें आवेदन
डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि शिक्षकों के स्थानांतरण के बाद कई विद्यालयों में रिक्तियां उत्पन्न हो गई हैं, जिससे शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो रहा है। ऐसे में अब यह निर्णय लिया गया है कि शिक्षक स्वयं अपने स्थानांतरण के लिए आवेदन कर सकें और अपनी पसंद के विद्यालय का चयन भी कर सकें।
समूह में कर सकेंगे पारस्परिक स्थानांतरण
इस नई प्रणाली के अंतर्गत, एक ही श्रेणी के शिक्षक दो से लेकर अधिकतम दस शिक्षक तक का समूह बनाकर आपसी सहमति से पारस्परिक स्थानांतरण कर सकेंगे। यह स्थानांतरण उन्हीं विद्यालयों के बीच संभव होगा जहां वे वर्तमान में पदस्थापित हैं।
कैसे करें आवेदन?
जो शिक्षक ट्रांसफर करवाना चाहते हैं, उन्हें ई-शिक्षक कोष पोर्टल पर लॉगिन कर अपने जिले, प्रखंड, अनुमंडल या पंचायत में ट्रांसफर के इच्छुक शिक्षकों की सूची देखनी होगी। शिक्षक अपनी विषयवस्तु और श्रेणी के अनुसार उपयुक्त समूह बना सकते हैं।
इस प्रक्रिया के दौरान शिक्षक ओटीपी आधारित सत्यापन के माध्यम से इच्छुक शिक्षकों से संपर्क कर सकेंगे और एक-दूसरे के विद्यालयों का चयन आपसी सहमति से कर सकेंगे।
तीन दिनों में ट्रांसफर आदेश
ट्रांसफर के लिए आवेदन देने के तीन दिन के भीतर स्थानांतरण आदेश जारी कर दिया जाएगा। आदेश जारी होने के सात दिनों के अंदर संबंधित शिक्षक को अपने चयनित विद्यालय में योगदान देना अनिवार्य होगा। यदि समूह में शामिल कोई भी शिक्षक योगदान नहीं करता है, तो संपूर्ण समूह का ट्रांसफर आदेश स्वतः निरस्त कर दिया जाएगा।
शिक्षकों और विभाग – दोनों के लिए फायदेमंद
इस नई प्रणाली से न केवल शिक्षकों को अपनी पसंद के विद्यालय में कार्य करने की सुविधा मिलेगी, बल्कि शिक्षा विभाग को भी रिक्त पदों की समस्या से निपटने में काफी हद तक राहत मिलेगी। पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में यह एक अहम कदम माना जा रहा है।
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