मुकेश मेहता, बुधनी। सीहोर जिले के भैरूंदा क्षेत्र अंतर्गत वन परिक्षेत्र ग्राम लाड़कुई से कीमती सागौन पेड़ों की अवैध कटाई के संबंध में आवाज उठाने वाले एवं झूठे केस में फंसे तीन पत्रकारों को न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया है। 09 साल के लंबे अंतराल के बाद अखिरकार उन्हे न्यायपालिका से इंसाफ मिला। वे तीनों सभी आरोपों से बरी हो गए। दोषमुक्त हुए पत्रकारों ने न्याय पालिका को सर्वोपरि बताते हुए न्याय व्यवस्था का धन्यवाद किया।
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तीनों पत्रकारों की ओर से पैरवी कर रहे वकील दुर्गा प्रसाद तिवारी ने मीडिया को बताया, कि वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों ने अपने कृत्य को छिपाने के लिए लाड़कुई के तीनों पत्रकार पर झूठी एफआईआर दर्ज कराकर उन्हें फंसाया था। वन विभाग की कर्मचारी अपने ऊपर आई जांच से बचने के लिए तीनों पत्रकार पर अड़ीबाजी का आरोप लगाकर उन पर एफआईआर दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा कि जब तक न्यायालय है तब तक प्रजातंत्र व मीडिया स्वतंत्र है। न्यायालय से हर आदमी को न्याय मिलता है। इस निर्णय से यह सिद्ध हो गया कि किस तरह लोग अपने कृत्य को छुपाने के लिए मीडिया का मुंह बंद करने की कोशिश करते हैं। फिर भी भारत का मीडिया ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ मामले उजागर करते आ रहे हैं।

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