आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सल संगठन लगातार कमजोर पड़ रही है। वहीं आज बस्तर में एक और बड़ी सफलता मिली है। पूना मारगेम : पुनर्वास से पुनर्जीवन पहल के तहत कुल 10 माओवादी कैडरों ने समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला लिया। आत्मसमर्पण करने वालों में DKSZC (दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी) का कुख्यात और वरिष्ठ सदस्य “चैतू उर्फ श्याम दादा” भी शामिल है, जो झीरम हमले का मास्टरमाइंड था।


जानिए आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों के नाम
10 माओवादी कैडरों ने मुख्यधारा में आत्मसमर्पण किया है, जिनमें DKSZC के वरिष्ठ सदस्य चैतू उर्फ श्याम दादा शामिल हैं, जिन पर 25 लाख रुपये का इनाम था। इसके अलावा DVCM में सरोज पर 8 लाख रुपये का इनाम घोषित था। ACM (एरिया कमेटी सदस्य) भूपेश उर्फ सहायक राम, प्रकाश, कमलेश उर्फ झितरु, जननी उर्फ रयमती कश्यप, संतोष उर्फ सन्नू और नवीन ने भी आत्मसमर्पण किया। PM (प्रोटेक्शन मिलिशिया) की रमशीला और जयती कश्यप ने भी हथियार छोड़ दिए। इन सभी पर कुल 65 लाख रुपये के इनामी घोषित था।
बस्तर के शौर्य भवन, पुलिस कोऑर्डिनेशन सेंटर, लालबाग में आज आत्मसमर्पण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में समाज के वरिष्ठ जन, परिवारजन, IGP बस्तर, SP बस्तर, जिला पुलिस प्रशासन और केंद्रीय सुरक्षा बलों के अधिकारी मौजूद रहे। सभी ने मुख्यधारा में लौटने वाले नक्सलियों का रेड कार्पेट बिछाकर स्वागत किया और उन्हें संविधान की पुस्तक और गुलदस्ता भेंट किया गया।
जानिए कौन है चैतू
चैतू उर्फ श्याम दादा, जिसका पूरा नाम गिरी रेड्डी पवन दा रेड्डी है, नक्सल संगठन का अत्यंत महत्वपूर्ण कैडर माना जाता है। लगभग 60 वर्षीय यह कैडर मूलतः ग्राम तुलसापुर, मंडल रघुनंदापल्ली, जिला वारंगल का रहने वाला है। वह DKSZC का वरिष्ठ सदस्य और दरभा डिवीजन का इंचार्ज था। उसके खिलाफ 25 लाख रुपये का इनाम घोषित था। आत्मसमर्पण के दौरान चैतू ने अपने पास रखी AK-47 रायफल भी पुलिस के हवाले कर दिया है।

चैतू के पास आधुनिक तकनीक का उपयोग करने की क्षमता थी, जिसमें टैबलेट, लैपटॉप, सोलर पैनल व बैटरी, टचस्क्रीन मोबाइल, वॉकी-टॉकी और रेडियो जैसे संसाधन शामिल थे।
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