बिलासपुर। सुप्रीम कोर्ट ने बीएड डिग्रीधारी प्राइमरी स्कूल शिक्षकों की याचिकाओं को खारिज करते हुए 2 अप्रैल 2024 को हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें शिक्षा विभाग से 42 दिनों के भीतर पुनरीक्षित सूची जारी कर (डीएलएड) डिप्लोमा धारकों को नियुक्तियां देने का आदेश दिया था. इसे भी पढ़ें : Swine Flu in CG : स्वाइन फ्लू से एक और महिला की मौत, बिलासपुर में अब तक 6 मरीजों की जा चुकी है जान

राज्य में शिक्षा विभाग ने 2023 में 12489 पदों का विज्ञापन जारी किया था, जिसमें से 6285 पद सहायक शिक्षक के थे. सहायक शिक्षकों की योग्यता को लेकर छत्तीसगढ़ में मामला लंबित था. छत्तीसगढ़ राज्य में सहायक शिक्षकों की पदों पर भी बीएड डिग्रीधारकों को शर्तों के आधार पर नियुक्तियां दे दी गई थी.

इसके खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने 2 अप्रैल 2024 को बीएड डिग्री को सहायक शिक्षक पद के लिए अमान्य करते हुए शिक्षा विभाग को 42 दिनों के अंदर पुनरीक्षित सूची जारी कर डीएलएड डिप्लोमा धारकों को नियुक्तियां देने का आदेश दिया था.

बीएड डिग्रीधारकों ने दायर की याचिका

हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार तथा बीएड डिग्री धारकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई कर राज्य सरकार की दो एसएलपी तथा बीएड डिग्रीधारकों की 6 एसएलपी को खारिज कर हाई कोर्ट के फैसले को यथावत रखा है.

एनटीसीए गाइड लाइन का हुआ उल्लंघन

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन ने 4 सितंबर 2023 को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को बीएड उम्मीदवारों की योग्यता को प्राइमरी स्कूल के लिए अवैध माना तथा इसके लिए सभी राज्यों को सूचनार्थ जारी कर दिए गए थे. बावजूद इसके छत्तीसगढ़ में नियुक्तियां दी गई, जो की पूरी तरह से अवैध है.