शिवम मिश्रा, रायपुर. छत्तीसगढ़ कोयला घोटाले में विशेष जांच दल (ACB-EOW) ने आज (गुरुवार) को रायपुर की स्पेशल कोर्ट में दो आरोपी मनीष उपाध्याय और रजनीकांत तिवारी के खिलाफ पूरक चालान पेश किया. इस चालान में 2000 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट, 25 पन्नों की सारांश और एक पेन ड्राइव शामिल है. मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी.
आरोपी मनीष उपाध्याय और रजनीकांत तिवारी के खिलाफ अवैध कोल लेवी वसूली के आरोप में धारा 120B, 384, 420 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 7A, 12 के तहत कार्रवाई की गई है. उल्लेखनीय है कि रजनीकांत तिवारी, सूर्यकांत तिवारी का बड़ा भाई है, जो पहले से जेल में बंद है.
सिंडिकेट के माध्यम से वसूली
ACB-EOW ने अपने चालान में बताया कि मनीष और रजनीकांत कोयला घोटाले के सिंडिकेट का हिस्सा थे और अवैध वसूली के पैसे को इकट्ठा कर अन्य सदस्यों तक पहुंचाते थे. जांच के दौरान, टीम को कोल घोटाले से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज भी मिले हैं. अवैध कमाई का निवेश चल और अचल संपत्तियों में किया गया है, और दोनों आरोपियों के अन्य घोटालेबाजों से गहरे संबंध पाए गए हैं.
जानिए क्या है 570 करोड़ का कोल घोटाला मामला
छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी में 570 करोड़ रुपये की अवैध कोल लेवी वसूली का खुलासा हुआ था. ईडी का दावा है कि खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर बिश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को आदेश जारी कर कोल परिवहन में ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन कर दिया था, जिससे व्यापारियों से वसूली की जा सके. वहीं इस घोटाले का मास्टरमाइंड कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया है, जिसपर ED के अनुसार निलंबित उपसचिव सौम्या चौरसिया का हाथ था.
ईडी के मुताबिक सूर्यकांत तिवारी ने 25 रुपये प्रति टन के हिसाब से अवैध रकम वसूलने के लिए एक सिंडिकेट बनाया था. व्यापारियों से अवैध रकम वसूलने के बाद ही उन्हें खनिज विभाग से पीट पास और परिवहन पास जारी किए जाते थे.
इस मामले की जांच जारी है और संबंधित अधिकारियों एवं व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. इस मामले में सौम्या चौरसिया के अलावा सूर्यकांत तिवारी, कोल वॉशरी संचालक सुनील अग्रवाल, IAS समीर बिश्नोई, IAS रानू साहू सहित कई अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था.
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