शब्बीर अहमद, भोपाल। पीसीसी चीफ बनने के 10 महीने बाद जीतू पटवारी ने अपनी टीम का एलान किया. जीतू पटवारी ने बड़े ही फूंक-फूंक कर टीम बनाई कई बार पटवारी ने तारीख दी लेकिन लिस्ट नहीं आई, जब आई तो बवाल हो गया. कार्यकारिणी में कई ऐसे नाम गायब है जिसको लेकर नेता नाराज बताए जा रहे हैं. सबसे ज्यादा नाराजगी ग्वालियर-चंबल संभाग में देखने को मिल रही है यहां पर विधायकों के अलावा कई मजबूत नेता लिस्ट में नाम नहीं होने के चलते खुश नहीं है जिसमें सबसे ऊपर सिकरवार परिवार का नाम बताया जा रहा है क्योंकि उनके परिवार के किसी भी सदस्य को कार्यकारिणी में नहीं रखा गया है.

सिकरवार परिवार का ग्वालियर, चंबल इलाके में बड़ा सियासी रसूख

सिकरवार परिवार का ग्वालियर-चंबल की सियासत में बड़ा सियासी रसूख माना जाता है ग्वालियर पूर्व से सतीश सिकरवार लगातार दूसरी बार विधायक चुनकर आए हैं वहीं उनकी पत्नी शोभा सिकरवार ग्वालियर से महापौर है. ग्वालियर महापौर की सीट कांग्रेस 56 साल बाद जीती थी और उसके पीछे सिकरवार परिवार का मैनेजमेंट ही माना जाता है की जिसने बीजेपी के मजबूत गढ़ के ध्वस्त किया था. वहीं उनके भाई पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार को भी कार्यकारिणी में जगह नहीं मिली है 2024 लोकसभा चुनाव में सबसे कम वोटों से एमपी में सत्यपाल सिंह सिकरवार मुरैना-श्योपुर लोकसभा से चुनाव हारे थे.

उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने नहीं दी बधाई

नई कार्यकारिणी के एलान के बाद सोशल साइट्स पर सभी बड़े नेताओं ने नवनियुक्त पार्टी पदाधिकारियों को बधाई दी लेकिन उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने बधाई नहीं दी. हेमंत कटारे ग्वालियर-चंबल से ही आते हैं बताया जा रहे है हेमंत कटारे नई कार्यकारिणी से खुश नहीं है कार्यकारिणी में उनका नाम जरूर है लेकिन वो कई जमीनी नेताओं को कार्यकारिणी में नहीं लिए जाने से नाराज बताए जा रहे है. हेमंत कटारे के अलावा ग्वालियर ग्रामीण से विधायक साहब सिंह गुर्जर भी कार्यकारिणी में नहीं लिए जाने पार्टी से खफा है. वहीं मुरैना में जसवीर गुर्जर को भी कार्यकारिणी नहीं लिया गया है जसवीर को 2023 विधानसभा में टिकट के दावेदार थे टिकट नहीं मिला तो पार्टी ने उन्हें बाद में प्रदेश सचिव बनाया लेकिन अब उन्हें कार्यकारिणी में नहीं रखा गया है.

पूर्व नेता प्रतिपक्ष भी नाराज

कार्यकारिणी को लेकर पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह भी काफी नाराज है. गोविंद सिंह के किसी भी समर्थक को प्रदेश कार्यकारिणी में जगह नहीं मिली है. गोविंद सिंह की तरफ से 4 से 5 नाम दिए गए थे, लेकिन किसी भी नेता को इसके अंदर शामिल नहीं किया गया है. जिसको लेकर बताया जा रहा है की गोविंद सिंह काफी खफा है.

विजयपुर उपचुनाव में पड़ सकती हैं नाराजगी भारी

ग्वालियर-चंबल में नेताओं की कार्यकारिणी को लेकर उपजा गुस्सा उपचुनाव पर भारी न पड़ जाए क्योंकि जो नेता नाराज बताए जा रहे है उन तमाम नेताओं को विजयपुर उपचुनाव में पार्टी ने जिम्मेदारी दे रखी है. ये तमाम नेता पिछले कई दिनों से विजयपुर में डेरा जमाए हुए है और सियासी समीकरण बिठा रहे हैं. बुधनी और विजयपुर सीट पर उपचुनव हो रहे है कांग्रेस को सबसे ज्यादा उम्मीद विजयपुर को लेकर क्योंकि से सीट कांग्रेस मिजाज की मानी जाती है बसपा के यहां उम्मीदवार नहीं खड़े होने के बाद कांग्रेस को यहां जीत की रोशनी दिख रही है लेकिन वक्त रहते अगर कांग्रेस ने इस गुस्से को शांत नहीं किया और जल्द डैमेज कंट्रोल नहीं कर पाई तो पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता हैं.

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