भोपाल। ‘देश का दिल’ कहा जाने वाला मध्य प्रदेश आज अपना 69वां जन्मदिन मना रहा है। बीमारू राज्य कहे जाने से लेकर प्रगतिशील राज्य बनने की इसकी कहानी बेहद दिलचस्प है। एक दौर था जब यहां पर बमुश्किल सुविधाएं तलाश करने पर मिलती थी। लेकिन एक आज का दौर है, जब देश ही नहीं बल्कि दुनिया के बड़े से बड़े उद्योगपति अपना उद्योग स्थापित करने के लिए मध्य प्रदेश की ओर रुख कर रहे हैं। एमपी बनने से लेकर भोपाल को राजधानी बनाने के लिए क्या जतन करने पड़े, यहां पढ़िए सबकुछ
1956 में मध्य हिस्से के छोटे राज्यों को मिलकर बना मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश ने राज्य बनने से लेकर राजधानी बनने के दौरान के विभाजन के दौर को देखा है। साल 1956 में देशभर के कई प्रांत भाषा और भौगोलिक स्थिति के आधार पर अलग राज्य की मांग कर रहे थे। इसी दौरान मध्य प्रदेश भी टूटकर अलग हुआ। भोपाल, विंध्य प्रदेश, मध्य भारत, सेंट्रल प्रोविंस(सीपी) और बरार को मिलाकर इसका निर्माण हुआ था। यही वजह है कि इसे ‘मध्य भारत’ और ‘भारत का दिल’ भी कहा जाता है।
नागपुर थी एमपी की राजधानी
कहा जाता है कि सेन्ट्रल प्रोविंस एवं बरार ब्रिटिश आधीन भारत का एक प्रांत था। यह प्रांत मध्य भारत के उन राज्यों से बना था, जिन्हें अंग्रेजों ने मराठों एवं मुगलों से जीता था। इस प्रांत की राजधानी नागपुर थी। भारत के स्वतंत्र होने के बाद इसी क्षेत्र को मध्य प्रदेश कहा गया। इसकी राजधानी नागपुर थी। इसके प्रथम मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल थे।
राजधानी के लिए भोपाल से पहले चुना गया था जबलपुर का नाम
इसके बाद विंध्य प्रदेश एवं भोपाल राज्य को भी इस में मिला दिया गया और मराठी भाषा वाले विदर्भ क्षेत्र को बॉम्बे राज्य में ट्रांसफर कर दिया गया। इस प्रकार मध्य प्रदेश की राजधानी नागपुर, बॉम्बे राज्य में चली गई। अब मध्य प्रदेश की नई राजधानी का निर्धारण किया जाना था। इसके लिए जबलपुर शहर का चुनाव किया गया, लेकिन भारत की राजधानी दिल्ली में अचानक इस फैसले को बदल दिया गया।
इस वजह से भोपाल चुनी गई राजधानी
राज्य पुनर्गठन आयोग ने जब सभी बड़े शहरों की जानकारी ली तो उसमें भोपाल में सबसे ज्यादा भवन मिले। ऐसे सरकार कार्यालयों को बनाने के लिए यह सबसे उपयुक्त जगह थी। इसके बाद भोपाल को राजधानी बनाए जाने पर मुहर लग गई।
भोपाल के नवाब कर रहे थे विरोध
देश को आजादी मिलने के बाद से भोपाल के नवाब लगातार इसका विरोध कर रहे थे। वे भारत के साथ नहीं आना चाहते थे। इस दौरान उन्होंने हैदराबाद के निजाम के साथ मिलकर भारत का विरोध भी शुरू कर दिया था। उनकी इस गतिविधि को रोकने के लिए भी भोपाल को राजधानी बनाने का निर्णय लिया गया। ताकि प्रदेश में सरकार यही से चले। इसके बाद पंडित रवि शंकर शुक्ल मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने। साल 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ की स्थापना हुई थी। यह राज्य भी आज अपना स्थापना दिवस मना रहा है।
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