भारत की सबसे आधुनिक संचार सैटेलाइट, अंतरिक्ष की यात्रा पर निकल गई है. विशेष रूप से, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने SpaceX के फाल्कन 9 रॉकेट की मदद से इस सैटेलाइट GSAT-N2 को लॉन्च किया. सैटेलाइट को फ्लॉरिडा, अमेरिका के केप कार्निवल से लॉन्च किया गया है. माना जाता है कि इसकी शुरुआत होते ही भारत का संचारतंत्र और मजबूत हो जाएगा.

इस सैटेलाइट, जिसका वजन 4700 किलोग्राम है, GSAT-N2 या GSAT 20 की मदद से दूर दराज के क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान कर सकता है. इस सैटेलाइट का मिशन जीवन चौबीस वर्ष का है. ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने इसकी सूचना दी है. लॉन्चिंग के दिन, उन्होंने कहा, ‘GSAT 20 की मिशन लाइफ 14 साल है और ग्राउंड इंफ्रा स्ट्रक्चर सैटेलाइट की मदद के लिए तैयार है.’

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एलन मस्क के स्वामित्व वाले स्पेसएक्स का फाल्कन-9 रॉकेट 4,700 किलोग्राम के जीसैट-एन 2 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में इंजेक्ट करेगा. स्पेसएक्स और ISRO के वैज्ञानिक इस विशेष वाणिज्यिक मिशन के प्रक्षेप पथ की निगरानी कर रहे हैं, जो केप कैनावेरल लॉन्च स्थल पर मौजूद हैं.

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने इसरो के एलएमवी-3 (जिसका वजन 4,700 किलोग्राम है) को जीटीओ में 4,000 किलोग्राम तक के उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए एलन मस्क के स्पेसएक्स (अमेरिका) से फाल्कन-9 लॉन्च वाहन से लॉन्च करने का विकल्प चुना.

न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड की जीसैट-20, संचार उपग्रहों की जीसैट श्रृंखला का हिस्सा होगी और इसका उद्देश्य भारत के स्मार्ट सिटी मिशन द्वारा आवश्यक संचार अवसंरचना में डेटा संचरण क्षमता को जोड़ना है.इसको विद्युत ऊर्जा प्रणाली को लगभग 6 किलोवाट की बिजली की आवश्यकता को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है.उपग्रह में एक सन सेंसर, अर्थ सेंसर, इनर्शियल रेफरेंस यूनिट और स्टार सेंसर है.

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GSAT-N2 क्या है

जीसैट-एन2, जिसका वजन 4700 किलोग्राम है और यह 14 साल तक सक्रिय रहेगा, हाई-स्पीड इंटरनेट की बढ़ती मांग को देखते हुए बनाया गया है. इससे उन क्षेत्रों को खास लाभ मिलेगा, जहां कनेक्टिविटी आम तौर पर कमजोर है.

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ISRO ने लॉन्चिंग के लिए SpaceX की सुविधा क्यों ली?

4700 किलो वजन वाले GSAT-N2 सैटेलाइट बहुत भारी है, और भारत का सबसे शक्तिशाली रॉकेट एलवीएम-3 लगभग चार हजार किलो वजन वाले सैटेलाइट को अंतरिक्ष में लॉन्च कर सकता है. यही कारण है कि भारत ने स्पेसएक्स से स्पेसएक्स के रॉकेट का उपयोग करके जीसैट-एन2 को लॉन्च किया. पहले भारत यूरोपीय एजेंसी एरियनस्पेस की मदद से अपने भारी उपग्रहों को लॉन्च करता था, लेकिन इस बार एरियनस्पेस की उपलब्धता नहीं थी. 

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