Rajasthan News: राजस्थान के झुंझुनूं जिले में एक डॉक्टर द्वारा कलेक्टर को इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगने का मामला सामने आया है। यह कदम उन्होंने भ्रष्टाचार और सरकारी तंत्र की लापरवाही से तंग आकर उठाया। यह घटना न केवल एक व्यक्ति की पीड़ा को उजागर करती है, बल्कि उन लाखों मध्यमवर्गीय परिवारों की परेशानियों का प्रतीक बन गई है, जो हर दिन भ्रष्टाचार और प्रशासनिक उदासीनता का सामना करते हैं।

क्या है पूरा मामला?
डॉ. मनीष कुमार सैनी, झुंझुनूं जिले के वार्ड नंबर-1 में रहने वाले एक फिजियोथेरेपिस्ट हैं। उनके घर के पास लिटिल पब्लिक स्कूल स्थित है। सीमित आय में परिवार का पालन-पोषण करने वाले डॉ. सैनी ने पांच महीने पहले सरकारी योजना के तहत 10 किलोवाट का सोलर पैनल लगवाया था, लेकिन इसके बावजूद बिजली विभाग की ओर से उन्हें लगातार भारी-भरकम बिजली बिल भेजा जा रहा था।
डॉ. सैनी का कहना है कि पिछले चार महीनों से वे लगातार बिजली विभाग को शिकायत कर रहे थे। लिखित में शिकायत देने के बावजूद उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ।
बिजली विभाग के भ्रष्टाचार का आरोप
डॉ. सैनी ने आरोप लगाया कि बिजली विभाग के कर्मचारी, जिनमें JEN, AEN और लाइनमैन शामिल हैं, रिश्वत के बिना काम नहीं करते। जब उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई, तो उन्हें धमकियां दी गईं और यहां तक कि बिजली कनेक्शन काटने की धमकी भी दी गई।
इच्छा मृत्यु का पत्र
अपनी समस्याओं से त्रस्त होकर, डॉ. सैनी ने कलेक्टर को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी। पत्र में उन्होंने अपनी मानसिक प्रताड़ना का हवाला देते हुए कहा कि वे और उनका परिवार अब इस स्थिति का सामना करने में असमर्थ हैं।
मीडिया में मामला आने पर बिजली विभाग की हरकत
डॉ. सैनी के पत्र ने जब मीडिया का ध्यान खींचा, तो बिजली विभाग तुरंत हरकत में आ गया। विभाग ने जांच कराई, जिसके बाद 30,094 रुपये के बिल को संशोधित कर 7,000 रुपये कर दिया गया। डॉ. सैनी ने आरोप लगाया कि बिजली विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। जो लोग रिश्वत देते हैं, उनका काम बिना किसी अड़चन के हो जाता है, जबकि अन्य लोग परेशान किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि सिस्टम में फैले इस भ्रष्टाचार के कारण वे इच्छा मृत्यु मांगने पर मजबूर हुए।
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