अमित पाण्डे, खैरागढ़. क्या आपने कभी सोचा है कि हजारों किलोमीटर दूर से सफर करके प्रवासी पक्षी यहाँ क्यों आते हैं? हर साल सर्दियों के मौसम में, खैरागढ़ के वेटलैंड्स का नजारा किसी अद्भुत दृश्य से कम नहीं होता. दूर-दूर से आने वाले प्रवासी पक्षी यहां अपनी खास मौजूदगी से इस इलाके को जादुई बना देते हैं. उनके आने से न सिर्फ आसमान और पानी चहक उठते हैं, बल्कि यह जगह प्रकृति प्रेमियों और पर्यटकों के लिए एक स्वर्ग बन जाती है.

ठंड के बढ़ते ही ये पक्षी सुदूर देशों से उड़ान भरकर सुरक्षित और गर्म स्थानों की तलाश में यहां आते हैं. खैरागढ़ की आर्द्रभूमि और हरे-भरे जंगल इनके लिए आदर्श घर बन जाते हैं. यहां ग्रे हेरॉन, पिंटेल, कॉमन टील, स्पॉट-बिल्ड डक और बार-हेडेड गूज जैसे पक्षी आसानी से देखे जा सकते हैं. इन्हें देखकर लगता है जैसे ये पक्षी हमारे पर्यावरण का खूबसूरत हिस्सा बनकर इसे सजाने आए हों.

यहां आने वालों के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं. पक्षियों का यह सफर और उनका यहां रहना लोगों को प्रकृति की अद्भुत शक्ति और सुंदरता से रूबरू कराता है. स्थानीय लोग, पर्यटक और शोधकर्ता इनके हर मूवमेंट को उत्सुकता से देखते हैं. इन पक्षियों के आने से न केवल खैरागढ़ का पर्यावरणीय महत्व बढ़ता है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा होता है.

लेकिन यह खुशी खतरे में भी है. बढ़ता प्रदूषण, शहरीकरण और वेटलैंड्स पर मानवीय दखल इन पक्षियों के लिए चुनौती बनता जा रहा है. खैरागढ़ के डीएफओ आलोक कुमार तिवारी कहते हैं कि इन वेटलैंड्स का संरक्षण बेहद जरूरी है. अगर इनका ध्यान नहीं रखा गया, तो शायद आने वाले समय में ये प्रवासी मेहमान हमें अलविदा कह दें.

प्रवासी पक्षियों की वापसी हमें यह सिखाती है कि प्रकृति के साथ तालमेल बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है. इन पक्षियों को देखकर महसूस होता है कि हमारा पर्यावरण कितना समृद्ध है और इसे बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है.

तो इस सर्दी, अगर आप खैरागढ़ के वेटलैंड्स का रुख करें, तो अपनी आंखों से इस जादुई दृश्य का आनंद लें. और याद रखें, ये पक्षी केवल मेहमान नहीं, बल्कि हमारी प्राकृतिक विरासत का हिस्सा हैं.