गृह मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देश पर आज देहरादून जनपद में नागरिकों की सुरक्षा के दृष्टिगत आयोजित सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल की निगरानी यूएसडीएमए स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र और जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र से की गई. सचिव गृह शैलेश बगौली, पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ और सचिव आपदा प्रबंधन और पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मॉक ड्रिल की मॉनीटरिंग की.

सायरन बजने के निर्धारित समय से पूर्व सचिव गृह शैलेश बगौली और पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ बुधवार राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचे. इस दौरान राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से घटनास्थलों, स्टेजिंग एरिया, इंसीडेंट कमांड पोस्ट और रिलीफ सेंटरों को भी जोड़ा गया. सचिव शैलेश बगौली ने मॉक ड्रिल के दौरान विभिन्न घटनाओं के बारे में जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र में उपस्थित जिलाधिकारी सविन बंसल से विस्तारपूर्वक जानकारी ली.
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शैलेश बगौली ने पूछा कि किस प्रकार घटना की सूचना प्राप्त होने पर फोर्सेज को रवाना किया गया, किन-किन टीमों को भेजा गया, शेल्टर कहां बनाए गए और उनकी क्षमता क्या है, स्टेजिंग एरिया में क्या-क्या व्यवस्थाएं हैं और कौन-कौन से संसाधन हैं, आईआरएस को कैसे एक्टिवेट किया गया. जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र से जिलाधिकारी सविन बंसल और आईआरएस तंत्र के तहत उनकी पूरी टीम राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से वर्चुअली जुड़ी रही.
इंसिडेंट कमाण्ड पोस्ट की व्यवस्थाओं के बारे में भी उन्होंने विस्तार से पूछा. इस दौरान उन्होंने आईआरएस यानी घटना प्रतिक्रिया प्रणाली के तहत किस अधिकारी की और किस विभाग की क्या जिम्मेदारी है, इसके बारे में भी संबंधित अधिकारियों से ही जानकारी ली. उन्होंने कहा कि आईआरएस एक सशक्त प्रणाली है, जिसके माध्यम से आपदाओं का प्रभावी तरीके से सामना किया जा सकता है, इसलिए यह आवश्यक है कि राज्य स्तर से लेकर जनपद स्तर और तहसील स्तर तक आईआरएस के तहत किस विभाग की और किस अधिकारी की क्या भूमिका है, इसकी जानकारी सभी को होनी चाहिए. इस दौरान पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ ने फील्ड पर मौजूद अधिकारियों से रिजर्व संसाधनों और उपकरणों के बारे में जानकारी ली. उन्होंने निर्देश दिए कि जब भी एंबुलेंस और राहत और बचाव दलों के वाहनों का मूवमेंट हो, उस समय ट्रैफिक की सुचारू व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.
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सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन निर्देश दिए कि मॉक अभ्यास के दौरान जो भी गैप्स और लूपहोल्स रहे हैं, उनको चिन्हित किया जाए और डीब्रीफिंग कर उनके बारे में चर्चा कर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए. उन्होंने कहा कि यह कोशिश की जाएगी कि भविष्य में होने वाले मॉक अभ्यासों में इन्हें दूर किया जा सके. राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से यह भी लगातार सुनिश्चित किया जाता रहा कि घटनास्थल के लिए जिन भी संसाधनों, उपकरणों या सहायता की मांग की जा रही है, वह समय पर पहुंच रही हैं या नहीं.
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