प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi)की अध्यक्षता में आज दिल्ली के भारत मंडपम में नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक आरंभ हुई है, जिसका विषय “विकसित राज्य से विकसित भारत @2047” रखा गया है. हालांकि, इस महत्वपूर्ण बैठक में कुछ बड़े राज्यों के मुख्यमंत्री उपस्थित नहीं हैं, जिनमें बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी(Mamta Benarjee), कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और केरल के मुख्यमंत्री विजयन शामिल हैं.

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बैठक में राज्यों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने संसाधनों और भूगोल के अनुसार दीर्घकालिक और समावेशी विकास योजनाएं तैयार करें, ताकि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित किया जा सके. इस प्रक्रिया में मानव विकास, आर्थिक वृद्धि, सतत आजीविका, तकनीक और सुशासन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है.

केंद्र ने यह स्पष्ट किया है कि राज्यों को परिणाम आधारित सुधार लाने के लिए डेटा-आधारित कार्यप्रणाली, प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट्स और ICT-सक्षम बुनियादी ढांचे का उपयोग करना होगा.

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ममता, सिद्धारमैया और केरल CM ने बनाई दूरी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक में भाग नहीं लिया. सूत्रों के अनुसार, उन्होंने न तो दिल्ली जाने का निर्णय लिया और न ही किसी प्रतिनिधि को भेजा. यह पहली बार नहीं है जब ममता बनर्जी ने इस प्रकार की बैठक में अनुपस्थिति दर्ज की है.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया इस बैठक में उपस्थित नहीं हो सके. उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि यह किसी प्रकार का बहिष्कार नहीं है, बल्कि मुख्यमंत्री की पहले से निर्धारित मैसूरु यात्रा के कारण उनकी अनुपस्थिति हुई. उन्होंने अपना वक्तव्य दिल्ली भेजा है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उनकी ओर से बैठक में कौन प्रतिनिधित्व करेगा.

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केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन बैठक में उपस्थित नहीं हुए. उन्होंने वित्त मंत्री के. एन. बालगोपाल को प्रतिनिधि के रूप में नामित किया, लेकिन सूत्रों के अनुसार, चूंकि यह मुख्यमंत्रियों की बैठक है, इसलिए बालगोपाल की भागीदारी को लेकर कुछ असमंजस बना हुआ है.

इन राज्यों के सीएम पहुंचे

बैठक में शामिल होने वाले मुख्यमंत्रियों में उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ, गुजरात के भूपेंद्र पटेल, उत्तराखंड के पुष्कर सिंह धामी, छत्तीसगढ़ के विष्णुदेव साय, मध्य प्रदेश के मोहन यादव, आंध्र प्रदेश के एन. चंद्रबाबू नायडू, तमिलनाडु के एम.के. स्टालिन, ओडिशा के मोहन चरण माझी, पंजाब के भगवंत मान, जम्मू-कश्मीर के उमर अब्दुल्ला, तेलंगाना के रेवंत रेड्डी, त्रिपुरा के माणिक साहा और हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू शामिल थे.

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हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने बैठक से पहले मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि नीति आयोग राज्यों से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है. उनका मुख्य ध्यान इस बात पर है कि हिमाचल में एनएचपीसी और एनटीपीसी की जो पावर परियोजनाएं कर्ज मुक्त हो चुकी हैं, उनसे उपभोक्ताओं से 12% फ्री रॉयल्टी को पास-थ्रू के माध्यम से बढ़ाने की आवश्यकता है. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इन परियोजनाओं को स्थानीय लोगों को वापस सौंपने के लिए एक निश्चित समय-सीमा निर्धारित की जानी चाहिए.