Benefits of Pranayama: आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में जहाँ तनाव, अवसाद और बीमारियों ने लोगों को घेर रखा है, वहीं हमारी हजारों साल पुरानी प्राणायाम विधि एक बार फिर चर्चा में है. यह केवल श्वास लेने की तकनीक नहीं है, बल्कि जीवन ऊर्जा (प्राण) को संतुलित करने की एक अद्भुत प्रणाली है, जिसे प्राचीन ऋषियों ने ध्यान और तपस्या के माध्यम से विकसित किया था.

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आधुनिक विज्ञान भी मान चुका है प्राणायाम की महत्ता (Benefits of Pranayama)

प्राचीन ग्रंथों में बताया गया है कि प्राणायाम न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक जागरूकता भी प्रदान करता है. आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी अब यह मान चुका है कि प्राणायाम से फेफड़े मज़बूत होते हैं, ऑक्सीजन का स्तर बेहतर होता है, और तनाव उत्पन्न करने वाले हार्मोन (कॉर्टिसोल) में गिरावट आती है.

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कोविड काल में भी साबित हुई इसकी उपयोगिता (Benefits of Pranayama)

अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका, कपालभाति जैसे प्राणायाम अब न केवल योगाचार्यों, बल्कि डॉक्टरों द्वारा भी नियमित अभ्यास के रूप में सुझाए जा रहे हैं. इनसे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, श्वसन संबंधी समस्याएं और मानसिक थकावट जैसी स्थितियों में राहत मिलती है. कोविड-19 काल में जब लाखों लोग सांस की तकलीफ से जूझ रहे थे, तब आयुष मंत्रालय ने भी प्राणायाम को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का एक प्रभावी उपाय माना.

स्वास-साधना: अतीत की परंपरा या भविष्य की ज़रूरत? (Benefits of Pranayama)

यह स्पष्ट है कि श्वास-साधना कोई बीती हुई परंपरा नहीं है, बल्कि वर्तमान और भविष्य की एक अहम जरूरत है. यह न केवल शरीर को स्वस्थ रखने का माध्यम है, बल्कि मानसिक और आत्मिक स्तर पर भी सशक्त बनाती है.

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