Rules For Touching Shivling: हिंदू धर्म में शिवलिंग को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है. इसे छूना या अभिषेक करना एक अत्यंत पवित्र कार्य है, लेकिन इसके पीछे कुछ विशेष नियम और मर्यादाएं भी हैं, जिनका जानना और पालन करना आवश्यक होता है. शिवलिंग पूजन में श्रद्धा के साथ-साथ शुद्धता का होना भी बेहद जरूरी है. नियमों का पालन करते हुए किया गया स्पर्श या अभिषेक भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का माध्यम बनता है. ये नियम न केवल धार्मिक मर्यादा को बनाए रखते हैं, बल्कि भक्ति को भी सही दिशा प्रदान करते हैं.

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कब छूना चाहिए? (Rules For Touching Shivling)

प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में या पूजन के समय शिवलिंग को जल, दूध, पंचामृत आदि से स्नान कराना सर्वश्रेष्ठ माना गया है. सावन के महीने, महाशिवरात्रि और सोमवार के दिन विशेष रूप से शिवलिंग का अभिषेक करना अत्यंत फलदायी होता है.

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कैसे छूना चाहिए? (Rules For Touching Shivling)

शिवलिंग को स्पर्श करने से पहले व्यक्ति को स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए. दाहिने हाथ से जल अर्पण करना और दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करना उचित होता है. शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, आक, गंगाजल आदि समर्पित किए जा सकते हैं.
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, केवल योनि (पीठिका) भाग पर जल चढ़ाना चाहिए और लिंग भाग को स्पर्श नहीं करना ही श्रेयस्कर माना गया है.

किसे छूना चाहिए और किसे नहीं? (Rules For Touching Shivling)

  • पुरुष श्रद्धालु शिवलिंग का स्पर्श कर सकते हैं.
  • स्त्रियों को विशेष रूप से मासिक धर्म के दौरान शिवलिंग को छूने की मनाही है.
  • संयमित जीवन जीने वाले, ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले, या व्रतधारी साधक शिवलिंग का पूजन और अभिषेक करने के अधिक योग्य माने जाते हैं.

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