पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ लंच को लेकर सुर्खियों में हैं। ईरान-इजराइल संघर्ष के बीच ईरान को साधने ट्रंप ने यह मीटिंग फिक्स की है। इस लंच के बाद आतंकवाद का पर्याय बन चुके पाकिस्तान ने ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की मांग कर दी है। जबकि ट्रंप ने मुनीर को भारत-पाक के बीच चल रहे संघर्ष विराम को समाप्त करने का क्रेडिट दे दिया। इन सबके बीच भारत ने आसिम मुनीर की इस मुलाकात की घटना को पाकिस्तान और वहां के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के लिए शर्मनाक बताया है।

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भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह पाकिस्तान के लिए शर्मनाक है कि उसके सेना प्रमुख को अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात का निमंत्रण मिला, जबकि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को कोई जगह नहीं दी गई। यह स्पष्ट संकेत है कि पाकिस्तान में वास्तविक सत्ता सेना के हाथों में है।

न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में रक्षा सचिव सिंह ने कहा, “किसी देश के लिए यह बहुत अजीब और शर्मनाक स्थिति है कि उसका सेना प्रमुख वाइट हाउस जाता है और प्रधानमंत्री का कहीं कोई नामोनिशान नहीं होता। यह काफी हैरान करने वाला है।” उन्होंने आगे कहा कि आसिम मुनीर का आर्थिक मामलों में दखल पाकिस्तान के ढांचे को उजागर करता है।

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रक्षा सचिव ने पाकिस्तान के विशेष निवेश सुविधा परिषद में आसिम मुनीर की मौजूदगी पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह दर्शाता है कि वहां सेना को आर्थिक मामलों में प्राथमिकता दी जाती है। उन्होंने कहा, “आसिम मुनीर उस परिषद में बैठते हैं जो पाकिस्तान के आर्थिक फैसले लेती है। यह एक असंतुलित और विचित्र संरचना है, जहां सेना को संसाधनों पर पहला दावा है चाहे समाजिक जरूरतें पीछे छूट जाएं।”

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जब आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाए जाने पर पूछा गया तो उन्होंने तीखे लहजे में कहा, “कुछ हलकों में ऐसी अटकलें पहले से थीं, लेकिन जब यह हुआ तो उसे एक तरह की ‘हास्य और अविश्वास’ की मिश्रित भावना से देखा गया। ऐसा लगता है जैसे किसी ने खुद को ही फील्ड मार्शल बना लिया हो।”

पाकितान को अपने हित के लिए इस्तेमाल कर रहा अमेरिका

अमेरिका ईरान पर हमला करने के लिए पाकिस्तान के एयरबेस का इस्तेमाल कर सकता है। इसमें सबसे अधिक संभावना नूर खान एयरबेस को लेकर है, जिसे पिछले महीने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने निशाना बनाया था।

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