भारतीय धार्मिक परंपरा में नाभि को केवल शरीर का केंद्र नहीं, बल्कि प्राणशक्ति का मूल स्रोत माना गया है. यही कारण है कि कई ग्रंथों और लोक परंपराओं में रात्रिकालीन नाभि तिलक का उल्लेख मिलता है. यह उपाय शुक्रवार की रात से आरंभ करें तो प्रभाव तीव्र होता है. द्रव्यहीनता, गृहकलह और भाग्य रुकावट दूर होती है. इसे धन और सौभाग्य की गुप्त कुंजी भी कहा गया है.

शास्त्रीय मान्यता

स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण और कुछ तांत्रिक ग्रंथों में यह उल्लेख है कि रात्रि में सोने से पूर्व देसी गाय के घी की 1-2 बूंद नाभि में अर्पित करने से मनुष्य की ‘धन-आकर्षण शक्ति’ जागृत होती है. यह क्रिया देवी लक्ष्मी की मृदुल ऊर्जा को आमंत्रित करती है.

नाभौ घृतं सम्पात्य यदि निद्रा पूर्वकं जपः।

सिद्धिं ददाति सम्पूर्णां, लक्ष्मीर्यत्र स्थिता सदा॥

भावार्थ: नाभि में घी डालकर, शांत चित्त से यदि लक्ष्मी मंत्र का स्मरण किया जाए, तो लक्ष्मी वहां स्थायी होती हैं.

इस विधि का करना है उपयोग:

रात्रि को सोने से पहले हाथ-पैर धो लें. देसी गाय का शुद्ध घी लें. दायें हाथ की अनामिका उंगली से 2 बूंद घी नाभि में डालें. आंखें बंद कर के “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” का जप करें (21 बार) और फिर बिना बात किए सो जाएं.