रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध हास्य कवि, व्यंग्यकार और पद्मश्री सम्मान से सम्मानित डॉ. सुरेंद्र दुबे का सोमवार को निधन हो गया। 72 वर्षीय डॉ. दुबे को दिल का दौरा पड़ने के बाद रायपुर के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (ACI) में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर सामने आने के बाद न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है।
डॉ. सुरेंद्र दुबे केवल कवि ही नहीं, बल्कि एक प्रख्यात आयुर्वेदिक चिकित्सक, समाजसुधारक और राजनीतिक विचारक भी थे। उन्होंने हास्य के माध्यम से व्यंग्य की धार को मंचों से लेकर टीवी तक पहुँचाया।
राजनीतिक सरोकारों से भी जुड़े रहे सुरेंद्र दुबे

डॉ. दुबे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विचारों से प्रेरित थे। वर्ष 2017 में उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में बीजेपी की सदस्यता ली थी। आज उनके निधन के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वे एक काव्य सम्मेलन के मंच से “मुझको भाजपा से कुछ नहीं चाहिए, पर मुझको अंतिम साँस तक भाजपा चाहिए!” कहते हैं।
इस दौरान मंच के सामने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, सांसद बृजमोहन अग्रवाल, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, अरुण साव और मंत्री ओपी चौधरी भी उपस्थित थे।
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2010 में मिला था पद्मश्री, अमेरिका में भी दी प्रस्तुति
डॉ. सुरेंद्र दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को बेमेतरा, छत्तीसगढ़ में हुआ था। उन्होंने जीवनभर हास्य को सामाजिक संवाद का माध्यम बनाया। उनकी पांच किताबें प्रकाशित हुईं और वे भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका, कनाडा जैसे देशों में भी काव्यपाठ कर चुके थे।

वर्ष 2010 में भारत सरकार ने उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया था। इसके अलावा, उन्हें ‘छत्तीसगढ़ रत्न सम्मान’ से भी नवाज़ा गया, जो शिकागो (अमेरिका) में नॉर्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन (NACHA) द्वारा प्रदान किया गया था।
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