कुंदन कुमार/ पटना।
बिहार की सियासत में चुनाव से ठीक पहले हलचल तेज हो गई है। जहां एक ओर पहले से स्थापित राजनीतिक दल अपनी स्थिति मजबूत करने में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर नए राजनीतिक संगठन भी मैदान में उतरने लगे हैं। इसी क्रम में आज पटना में एक नई पार्टी की लॉन्चिंग हुई, जिसका नाम है विकास वंचित इंसान पार्टी (VVIP)। यह नाम अपने आप में एक सियासी संदेश लेकर आया है, और बिहार की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
जानें कौन है संस्थापक
VVIP पार्टी के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं प्रदीप निषाद, जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश से हैं और मल्लाह समाज से ताल्लुक रखते हैं। प्रदीप निषाद पहले मुकेश साहनी के करीबी माने जाते थे और 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में उनके साथ सक्रिय भूमिका में नजर आए थे। लेकिन चुनाव के दौरान मंच पर हुए विवाद के बाद दोनों नेताओं के बीच दूरियां आ गईं, और अब वह खुद बिहार की राजनीति में VIP को टक्कर देने के इरादे से मैदान में उतर आए हैं।
क्या सेंध लगाने की कोशिश?
मुकेश साहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) पहले ही बिहार की राजनीति में एक अहम भूमिका निभा रही है और महागठबंधन का हिस्सा बनकर चुनावी समर में सक्रिय है। ऐसे में प्रदीप निषाद द्वारा नई पार्टी VVIP का गठन कहीं न कहीं साहनी के वोट बैंक, विशेषकर मल्लाह समाज में सेंध लगाने की कोशिश मानी जा रही है।
क्यों बनाई नई पार्टी ?
पार्टी लॉन्च के मौके पर प्रदीप निषाद ने साफ तौर पर कहा मुकेश साहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी यह संदेश देती है कि विकास हो चुका है, लेकिन हम मानते हैं कि समाज का एक बड़ा हिस्सा आज भी विकास से वंचित है। इसलिए हमने विकास वंचित इंसान पार्टी बनाई है, ताकि उन लोगों की आवाज बुलंद की जा सके जिनकी सुनवाई अब तक नहीं हुई है।
क्या है लक्ष्य
उन्होंने यह भी कहा कि VVIP का लक्ष्य केवल चुनाव लड़ना नहीं, बल्कि निषाद समाज की सभी उपजातियों को एकजुट कर उनके अधिकार और भागीदारी सुनिश्चित करना है। सामाजिक न्याय, आरक्षण और आर्थिक सशक्तिकरण जैसे मुद्दों को पार्टी प्रमुख एजेंडे में रखेगी। हालांकि प्रदीप निषाद यह दावा करते हैं कि वह किसी से बदला लेने नहीं आए, लेकिन सियासी जानकारों का मानना है कि VIP से अलग होकर VVIP का गठन करना उनकी पुरानी राजनीतिक उपेक्षा का जवाब हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि “सन ऑफ मल्लाह” कहे जाने वाले मुकेश साहनी के किले में क्या प्रदीप निषाद सेंधमारी करने में सफल होते हैं या नहीं।
VIP और VVIP की यह राजनीतिक जंग?
बिहार की राजनीति में पहले से ही जातीय समीकरण निर्णायक भूमिका निभाते हैं, और मल्लाह समाज एक महत्वपूर्ण वोट बैंक माना जाता है। ऐसे में VVIP की एंट्री ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है। आने वाले समय में यह तय होगा कि VIP और VVIP की यह राजनीतिक जंग किस करवट बैठती है और इसका चुनावी नतीजों पर क्या असर पड़ता है।
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