दुर्ग। राज्य सरकार के ऑनलाइन भुइंया एप के माध्यम से दुर्ग जिले में 765 एकड़ शासकीय और निजी भूमि का बंदरबांट करने का मामला सामने आया है. मामले में संलिप्तता पाए जाने के बाद दो पटवारियों को जहां निलंबित किया गया है, वहीं 18 पटवारियों का दूसरे हलकों में तबादला किया गया है.

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यह पूरा मामला दुर्ग जिले के मुरमुंदा पटवारी हलका से जुड़ा है, जिसके मुरमुंदा गांव, अछोटी गांव, चेटुवा और बोरसी गांव में 765 एकड़ जमीन के रिकार्ड में हेरफेर किया गया है. इसमें आधी जमीन सरकारी और बाकी जमीन निजी है. शासकीय और निजी जमीन का फर्जी तरीके बटांकन कर अलग-अलग व्यक्तियों के नाम दर्ज कर दिया गया. यही नहीं फर्जी रिकार्ड के आधार पर कई लोगों ने बैंकों से लोन भी ले लिया है.

बेशकीमती शासकीय जमीनों पर 52 बोगस खसरा नंबर जारी कर 765 एकड़ जमीन के रिकार्ड में हेराफेरी की गई है. उक्त जमीन का बड़ा हिस्सा मुख्य मार्गों से लगा है. ऐसे में जमीनों के बाजार में वर्तमान कीमत लगभग 500 करोड़ रुपए है.

बड़े सिंडिकेट के जुड़े हैं तार

अधिकारियों के मुताबिक, जमीन की हेरफेर में बड़ा सिंडिकेट जुड़ा होने का अनुमान है. फर्जीवाड़े के तार रायपुर, दुर्ग, कोरबा समेत अन्य जिलों से जुड़े होने की शंका है. प्राथमिक जांच में सामने आया है कि पाटन के पटवारी मनोज नायक और अहिवारा में पदस्थ पटवारी कृष्ण कुमार सिन्हा की आईडी के जरिए जमीन रिकार्ड से छेड़छाड़ की गई है. एनआईसी से मिली जानकारी के बाद दोनों पटवारियों को निलंबित कर दिया गया है.

प्रभारी मंत्री ने लिया संज्ञान

मंगलवार को जिले के प्रभारी मंत्री विजय शर्मा के संज्ञान में भी यह मामला आया है. मंत्री ने कहा कि 765 इंच की गड़बड़ी भी नहीं होना चाहिए. दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी. वहीं विभाग पूरे मामले में पूरे मामले की जांच और कार्रवाई कै लिए एफआईआर दर्ज कराएगा.

दर्ज कराई जाएगी एफआईआर

दुर्ग संभागायुक्त सत्यनारायण राठौर बताते हैं कि 765 एकड़ जमीन को लेकर गड़बड़ी का पता चला है. प्राथमिक जांच के बाद दो पटवारियों को निलंबित कर दिया गया है. जमीनों का रिकार्ड सुधार लिया गया है. फर्जीवाड़े को लेकर एफआईआर दर्ज कराई जाएगी. जिससे गिरोह में शामिल बाकी लोगों का पता लगाकर कार्रवाई की जा सके.