राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में कठपुतली कला की विविध शैलियों पर एकाग्र पुतुल समारोह का आयोजन 08 से 12 अक्टूबर, 2025 प्रतिदिन सायं 6.30 बजे से किया गया है। समारोह में 8 अक्टूबर, 2025 को भारतीय लोक कला मंडल-उदयपुर के कलाकार काबुलीवाला/रामायण कथा की प्रस्तुति धागा पुतली शैली में दी गई। समारोह की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन व कलाकारों के स्वागत से की गई। इस दौरान निदेशक, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी डॉ. धर्मेंद्र पारे, कलाकार लईक हुसैन मौजूद रहे।

रामायण कठपुतली नाटिका रामायण पर आधारित प्रसंगों का कथासार है। नाटिक में भगवान श्री राम के द्वारा राजा जनक द्वारा रचे गये स्वंयवर में माता सीता से विवाह कर अयोध्या जाना। अयोध्या के रहवासियों द्वारा श्रीराम राज्याभिषेक का उत्सव मनाना। उक्त घोषणा की सूचना पर कैकयी-मंथरा संवाद और उसके बाद कैकयी द्वारा राजा दशरथ से भगवान श्रीराम के लिए 14 वर्षों का वनवास और भरत के लिए राज्य का वचन मांगना जैसे प्रसंगों को मंचित किया गया। वचन को पूर्ण करने के लिये भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता 14 वर्ष के वनवास जाना, सूर्पणखा प्रसंग। अगले दृश्य में लंका के राजा रावण को पता लगा, तो उसने छल पूवर्क माता सीता हरण कर, शादी का प्रस्ताव रखा। माता सीता को श्रीराम और लक्ष्मण द्वारा ढूंढना। श्री हनुमान द्वारा माता सीता का पता लगाया जाना व भगवान श्रीराम और रावण के बीच युद्ध के दश्यों को मंचित किया गया।

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कहानी काबुलीवाला एक अफगानी पठान व बालिका मिनी की कहानी है। इसमें बताया गया है कि अफगानी पठान हर साल सूखे मेवे बेचने के लिए कलकत्ता जाता है। यहां बंगाली परिवार से उसका लगाव हो जाता है। उस परिवार की बालिका मिनी को देखकर वो अपनी बेटी को याद करता है, जो उसी की उम्र की है। बंगाली बाबू की पत्नी मिनी और काबुलीवाला की दोस्ती को पसंद नहीं करती। जब काबुलीवाला अपने देश जाते समय बनिये को दिए सूखे मेवे के पैसे मांगने जाता है, तो सेठ उसे पैसे देने से इंकार करता है। आपसी कहा सुनी हाथा पाई में बदल जाती है और काबुलीवाले के हाथों सेठ का खून हो जाता है। खून के आरोप में उसे जेल की सज़ा हो जाती है। वह जेल में दस साल की सज़ा काटते हुए अपने परिवार को याद करता है।

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सजा पूरी होने पर अफगान लौटते समय वह बंगाली परिवार की बेटी मिनी से मिलने की इच्छा जताता है। मिनी अब बड़ी हो चुकी है और उसकी शादी की तैयारी हो रही है। काबुलीवाला बंगाली परिवार से मिनी से एक बार मिलने की गुहार करता है और मिनी जैसी ही उसकी बेटी होने की जानकारी देता है। बंगाली परिवार काबुलीवाला पर दया करते हुए। मिनी की शादी का आधा खर्च उसकी बेटी की शादी के लिए दे देता है, दस साल पुरानी यादों को ताजा कर काबुलीवाला और मिनी गले मिल कर रो पड़ते हैं। काबुलीवाला अपने वतन के लिए चला जाता है।

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