मुख्यमंत्री भगवंत मान आज राज्य के 19 जिलों के 10,031 सरपंचों को शपथ दिलाएंगे। इसके लिए लुधियाना के धनासू में राज्य स्तरीय शपथ समारोह का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद होंगे।
इस समारोह के जरिए आम आदमी पार्टी राज्य की 4 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों से पहले अपनी शक्ति का प्रदर्शन भी करेगी, जिसके लिए 50,000 लोगों की भीड़ जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि, पंजाब सरकार ने मीडिया को जारी बयान में पहले केजरीवाल का जिक्र नहीं किया था, लेकिन बाद में एक संशोधित प्रेस नोट में उन्हें मुख्य अतिथि के रूप में शामिल किया गया।
4 जिलों के सरपंच बाद में लेंगे शपथ
राज्य के सभी 23 जिलों में से 4 जिलों के 3,200 सरपंच और 81,808 नए चुने गए पंचों को बाद में शपथ दिलाई जाएगी। यह निर्णय चुनाव संहिता लागू होने के कारण लिया गया है। इन जिलों में होशियारपुर, गुरदासपुर, मुक्तसर और बरनाला शामिल हैं। यहां 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को मतगणना होगी। पंजाब के 23 जिलों में कुल 13,147 ग्राम पंचायतें हैं।
केजरीवाल 9 नवंबर को 2 जिलों में करेंगे चुनाव प्रचार शपथ समारोह के बाद, आम आदमी पार्टी चार विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों के प्रचार को गति देने के लिए विचार-विमर्श करेगी। इसके बाद, अरविंद केजरीवाल 9 नवंबर को होशियारपुर के चब्बेवाल और गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक में पार्टी उम्मीदवारों के समर्थन में चुनाव प्रचार करेंगे। पार्टी ने इसके लिए तैयारी पूरी कर ली है।
पंचायत चुनावों में 3,037 सरपंच सर्वसम्मति से चुने गए
सर्वसम्मति से चुने गए 3,037 सरपंच इस बार पंजाब में पंचायत चुनावों में 3,037 सरपंच सर्वसम्मति से चुने गए हैं। इनमें से फिरोजपुर जिले में सर्वाधिक 336 सरपंच, गुरदासपुर में 335 और तरनतारन में 334 सरपंच सर्वसम्मति से चुने गए हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने घोषणा की थी कि जिन गांवों की पंचायतें सर्वसम्मति से चुनी जाएंगी, उन गांवों के विकास के लिए अतिरिक्त फंड दिए जाएंगे।
पार्टी के प्रतीक चिह्न पर चुनाव नहीं कराए पंजाब सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि ये पंचायत चुनाव राजनीतिक पार्टियों के प्रतीक चिह्नों के बिना कराए गए हैं ताकि गांवों को राजनीतिक विभाजन से दूर रखा जा सके और आपसी भाईचारे को मजबूत किया जा सके। पंजाब सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए पंचायत चुनावों में पार्टी के प्रतीक चिह्नों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया था। राज्य सरकार का यह निर्णय गांवों में गुटबाजी से उत्पन्न समस्याओं को समाप्त करने के उद्देश्य से लिया गया ताकि ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित हो सके।
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