Monetary Policy Committee Meeting: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की तीन दिवसीय बैठक आज से शुरू हो गई है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि बैठक के दौरान रेपो रेट में 0.25% की कटौती की जा सकती है. अगर ऐसा होता है, तो आने वाले दिनों में आम उपभोक्ताओं के लिए लोन और ईएमआई सस्ती हो सकती हैं.

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बैठक के नतीजे 6 जून को सुबह 10 बजे RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा द्वारा घोषित किए जाएंगे. बता दें कि इससे पहले अप्रैल और फरवरी में भी रेपो रेट में 0.25% की कटौती की जा चुकी है. इन दोनों कटौतियों के बाद वर्तमान में रेपो रेट 6% पर है.

ब्याज दरों में गिरावट की उम्मीद क्यों?

SBI सिक्योरिटीज के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट सनी अग्रवाल के मुताबिक, “सभी प्रमुख आर्थिक संकेतक दर कटौती के पक्ष में हैं. मानसून सामान्य रहने के संकेत हैं, महंगाई नियंत्रण में है और GDP ग्रोथ स्थिर बनी हुई है. जुलाई 2019 के बाद खुदरा महंगाई अब तक के सबसे निचले स्तर पर है.”

RBI के पिछले बयान में भी इशारा मिला था कि यदि महंगाई काबू में रहती है तो ब्याज दरों में और कटौती संभव है. यह रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए राहत की खबर हो सकती है.

रेपो रेट क्या होता है और क्यों है यह अहम?

रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देता है. जब रेपो रेट घटती है, तो बैंकों के लिए लोन लेना सस्ता हो जाता है. इसका सीधा असर आम ग्राहकों पर पड़ता है, क्योंकि बैंक भी अपनी ब्याज दरें घटाकर होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन को सस्ता कर देते हैं. इससे आपकी EMI घट सकती है.

रेपो रेट में कटौती से किन सेक्टरों को मिलेगा फायदा?

रेपो रेट में संभावित कटौती से खास तौर पर इन क्षेत्रों को राहत मिलेगी:

Real Estate: सस्ते होम लोन (Cheaper home loans) से प्रॉपर्टी की मांग बढ़ सकती है

ऑटोमोबाइल सेक्टर: फाइनेंसिंग सस्ती होने से गाड़ियों की बिक्री में इज़ाफा संभव

MSME सेक्टर: आसान और सस्ते लोन से व्यापार को विस्तार मिलेगा

RBI क्यों बढ़ाता या घटाता है रेपो रेट?

रेपो रेट में बदलाव RBI का एक पॉलिसी टूल होता है, जिससे वह महंगाई और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाता है. जब महंगाई बढ़ती है, तो RBI रेपो रेट बढ़ाकर बाजार में पैसे का प्रवाह घटाता है.जब आर्थिक सुस्ती आती है, तो रेपो रेट घटाकर बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाई जाती है. इस प्रकार, रेपो रेट का सीधा संबंध आपकी जेब से है—EMI से लेकर निवेश तक.

MPC में कौन होते हैं सदस्य?

मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में कुल 6 सदस्य होते हैं. इनमें से 3 सदस्य RBI के प्रतिनिधि होते हैं और बाकी 3 को केंद्र सरकार नियुक्त करती है. यह कमेटी हर दो महीने में बैठक करती है और देश की मौद्रिक नीति तय करती है.