विक्रम मिश्र, लखनऊ। बंदोबस्त बनाम सिस्टम की अगर बानगी देखनी हो तो उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य महकमे की जानकारी ले लीजिए यहां पर तबादलों के नाम पर हुए लूट की स्थिति आपको स्पष्ट हो जाएगी। यहां पर 16 साल से एक ही स्थान मंडल पर जमे हुए डॉक्टर्स कर्मचारियों को छुआ नहीं गया जबकि समयावधि पूर्ण नहीं कर पाने वाले अधिकारियों डॉक्टर्स को हटाया गया है।

तबादलों में हुई गड़बड़ियों पर चुप्पी

विभाग के मुखिया रंजन कुमार प्रमुख सचिव के पद पर काबिज है। इनसे तबादलों के बाबत जानकारी मांगने पर कहा कि तबादले विभागाध्यक्ष के देखरेख में ही किये जाते है इसलिए ज़िम्मेदारी भी उसकी ही होती है। आयुष विभाग के महानिदेशक मानवेन्द्र सिंह है उनसे तबादलों में हुई गड़बड़ियों पर सवाल करने पर उंन्होने कहा कि इस बाबत जानकारी तो नही है लेकिन पता करवाते है।

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दाम्पत्य नीति तो खिलवाड़ बन गई

आयुष विभाग के अंतर्गत आने वाले यूनानी विभाग की बात करे तो यहां पर दाम्पत्य नीति खिलवाड़ बन गई है। अंगद की तरह पैर जमाये हुए लोगो को किसी ने टच नही किया जबकि दाम्पत्य नीति का हवाला और उसके साथ सिस्टम बनाकर चढ़ावा देने वालो उपयुक्त स्थान पर भेज दिया गया है।

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आपको बताते है नाम

पहला नाम है कार्यवाहक क्षेत्राधिकारी डॉक्टर राजकुमार यादव जो कि लखनऊ जिले में 15 वर्ष और मंडल में 16 सालों से काबिज़ है। इनकी मूल पदस्थापना देखे तो तड़ियागंज में इनकी तैनाती है। लेकिन मजबूत सिस्टम के कारण जबरदस्त तरह से पैर जमाये बैठे है। इनकी पत्नी वंदना यादव लखनऊ विश्वविद्यालय में लाइब्रेरियन है इसका लाभ इनको वर्षों से मिल रहा है।
दूसरा नाम है डॉक्टर राकेश कुमार का है, इनकी पत्नी लखनऊ में ही पशु चिकित्सक है। लेकिन यूनानी विभाग में तैनात डॉक्टर राकेश कुमार का ट्रांसफर अंबेडकर नगर कर दिया गया है।

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तीसरा नम्बर डॉक्टर तृप्ति आर सिंह का है जो लखनऊ में अपने सिस्टम के बलबूते पर पिछले 14 सालों से कबिज़ है। इनके साथ ही तुडियागंज में तैनात डॉक्टर धर्मेंद्र चौधरी का है जो 14 सालों से यहीं जमे है। इसी प्रकार लखनऊ में 16 सालों से तैनात ब्रजेश सिंह का नाम भी शामिल जिनको किसी की मजाल है तो टस से मस से कर दे।

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मानकों के विरुद्ध तबादलों पर आक्रोश

विभाग में समयावधि पूर्ण कर लेने वाले अधिकारी कर्मचारी अपना समय पूर्ण कर लेने के बाद नियमानुसार तबादलों की राह ताकते रह गए बावजूद इसके सिस्टम नीति पर भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर्स अधिकारी और कर्मचारियों में आक्रोश का माहौल है। मिली जानकारी के मुताबिक मंत्री और महानिदेशक में धन के बंदरबाट की खबर आ रही है।