Amit Shah News: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ दशकों पुराने सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया था। शक जताया गया कि यह कदम अस्थाई तौर पर लिया गया है। हालांकि, भारत ने अब साफ़ कर दिया है कि वह पाकिस्तान को पानी के लिए तरसाकर रहेगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि कभी बहाल नहीं होगी क्योंकि पड़ोसी देश ने समझौते की शर्तों का उल्लंघन किया है और इस्लामाबाद को वह पानी नहीं मिलेगा, जो उसे अनुचित तरीके से मिल रहा था। पाकिस्तान प्यासा रह जाएगा।

टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा, ‘नहीं, यह कभी बहाल नहीं होगी। अंतरराष्ट्रीय संधियों को एकतरफा रद्द नहीं किया जा सकता, लेकिन हमें इसे निलंबित करने का अधिकार था, जो हमने किया है। संधि की प्रस्तावना में उल्लेख है कि यह दोनों देशों की शांति और प्रगति के लिए थी, लेकिन एक बार जब इसका उल्लंघन हो गया, तो बचाने के लिए कुछ नहीं बचा।’

अमित शाह ने आगे कहा, ‘हम उस पानी का उपयोग करेंगे जो सही मायने में भारत का है। हम उस पानी को एक नहर बनाकर राजस्थान तक ले जाएंगे जो पाकिस्तान को जा रहा था। पाकिस्तान को वह पानी नहीं मिलेगा जो वह अनुचित रूप से प्राप्त कर रहा था।’

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पहलगाम आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की हुई थी हत्या

दरअसल, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था। उस पहलगाम अटैक में 26 टूरिस्ट मारे गए थे। जिनमें अधिकतर हिन्दू पर्यटक शामिल थे। उनसे कलमा पढ़ने के लिए कहा गया था, और ऐसा न कर पाने वाले लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी और बढ़ गई। इसका नतीजा हुआ कि भारत ने सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इतना ही नहीं, भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों को निष्कासित करने जैसे कई कूटनीतिक निर्णय लिए।

पहलगाम अटैक की निंदा करते हुए अमति शाह ने इसे ‘कश्मीर में शांति को बाधित करने, बढ़ते पर्यटन को रोकने और कश्मीरी युवाओं का ध्यान भटकाने का जानबूझकर किया गया प्रयास’ कहा। उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी ने पहले कभी भारत के साथ इतनी एकजुटता नहीं दिखाई थी।

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पाक की हिमाकत का मिलेगा जवाब

अमित शाह ने कहा, ‘हम पाकिस्तान की ओर से किए गए किसी भी हिमाकत के खिलाफ बिना किसी देरी के कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेंगे।’ उन्होंने कहा कि पर्यटकों ने कश्मीर की यात्रा फिर से शुरू कर दी है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने भारत में नागरिक स्थानों पर हमला किया, लेकिन भारत ने उनके हवाई अड्डों को नुकसान पहुंचाकर करारा जवाब दिया, जिससे पाक को घुटने टेकने पड़े और सीजफायर की गुहार लगानी पड़ी।

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अमित शाह ने बताया ऑपरेशन सिंदूर का मकसद

ऑपरेशन सिंदूर के मकसद पर अमित शाह ने कहा, ‘पीएम के सार्वजनिक घोषणा के अनुसार पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों को सजा देने के लिए हमने आतंकवादी लॉन्चपैड पर सीमित हमले किए और यह बहुत स्पष्ट कर दिया कि यह एक लक्षित हमला था। पाकिस्तान ने आतंकवादियों पर हमारे हमले को अपनी क्षेत्रीयता पर हमला माना, जिससे अंतर समाप्त हो गया।’

क्या है सिंधु जल संधि ?

भारत-पाकिस्तान के बीच का सिंधु जल समझौता क्या है? सिंधु नदी प्रणाली में कुल 6 नदियां हैं- सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज। इनके किनारे का इलाका करीब 11.2 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसमें 47% जमीन पाकिस्तान, 39% जमीन भारत, 8% जमीन चीन और 6% जमीन अफगानिस्तान में है। इन सभी देशों के करीब 30 करोड़ लोग इन इलाकों में रहते हैं।

1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के पहले से ही भारत के पंजाब और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बीच नदियों के पानी के बंटवारे का झगड़ा शुरू हो गया था। 1947 में भारत और पाक के इंजीनियरों के बीच ‘स्टैंडस्टिल समझौता’ हुआ। इसके तहत दो मुख्य नहरों से पाकिस्तान को पानी मिलता रहा। ये समझौता 31 मार्च 1948 तक चला।

1 अप्रैल 1948 को जब समझौता लागू नहीं रहा तो भारत ने दोनों नहरों का पानी रोक दिया। इससे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की 17 लाख एकड़ जमीन पर खेती बर्बाद हो गई। दोबारा हुए समझौते में भारत पानी देने को राजी हो गया।

इसके बाद 1951 से लेकर 1960 तक वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में भारत पाकिस्तान में पानी के बंटवारे को लेकर बातचीत चली और आखिरकार 19 सितंबर 1960 को कराची में भारत के PM नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच दस्तखत हुए। इसे इंडस वाटर ट्रीटी या सिंधु जल संधि कहा जाता है।