Maharashtra Hindi Language Controversy: महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी भाषा पढ़ाने को लेकर सियासी घमासान जारी है। महाराष्ट्र में हिंदी भाषा की अनिवार्यता वाला फैसला फडणवीस सरकार के लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है। हालांकि विपक्ष के कड़े विरोध के बाद सरकार ने हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा की जगह वैकल्पिक कर दिया है। बावजूद इसके विपक्षी पार्टियों का विरोध जारी है।
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प्रदेश में भाषा विवाद को लेकर चल रहे ठकराव पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि प्राथमिकी शिक्षा में हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाना ठीक नहीं है। कक्षा पांच के बाद हिंदी सीखने में कोई समस्या नहीं है, क्योंकि देश का बड़ा आबादी हिंदी भाषा का इस्तेमाल करता है।
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शरद पवार बोले – छोटे बच्चों पर भाषा का अत्याधिक बोझ नहीं डाला जाना चाहिए। अगर कोई बच्चा अपनी मातृभाषा से दूर हो जाए और एक नई भाषा सीख ले, तो ये ग़लत होगा। उन्होंने राज्य की सरकार को सुझाव दिया कि कक्षा पांच तक हिंदी को अनिवार्य करने की जिद्द छोड़ दें। किसी भी राज्य में मातृभाषा को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। कक्षा पांच के बाद अगर किसी बच्चे के पैरेंट्स चाहते हैं कि वह कोई और भाषा सीखे तो निर्णय लिया जा सकता है।
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राज ठाकरे ने मराठी भाषा और शिक्षा नीति पर राज्य सरकार को घेरा
इधर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने मराठी भाषा और शिक्षा नीति पर राज्य सरकार को घेरा। 6 जुलाई को मराठी अस्मिता मार्च की घोषणा के साथ उन्होंने हिंदी को थोपने की कथित साजिश पर सवाल उठाए और शिक्षा, रोजगार जैसे मुद्दों पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया। एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत तीसरी भाषा को अनिवार्य करने की बात को खारिज करते हुए कहा कि यह नीति राज्यों पर छोड़ दी गई है, फिर भी महाराष्ट्र में हिंदी को क्यों थोपा जा रहा है? उन्होंने इसे मराठी भाषा को कमजोर करने की साजिश करार दिया।
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राज ठाकरे ने ऐलान किया कि 6 जुलाई को मुंबई में गिरगांव चौपाटी से आजाद मैदान तक एक विशाल मराठी अस्मिता मार्च निकाला जाएगा। इस मार्च में किसी भी राजनीतिक दल का झंडा नहीं होगा। उन्होंने इसे मराठी लोगों का मार्च बताते हुए सभी दलों, कलाकारों, साहित्यकारों और आम जनता को इसमें शामिल होने का न्योता दिया। ठाकरे ने कहा कि ‘यह मार्च रविवार को होगा ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग हिस्सा ले सके। मैं देखना चाहता हूं कि कौन इसमें आता है और कौन नहीं।
लोकतंत्र में कोई भी चीज़ नहीं थोपी जाएगीः डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे
भाषा विवाद पर डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा लोकतंत्र में कोई भी चीज़ नहीं थोपी जाएगी। जबरदस्ती हिंदी शब्द के अनिवार्य इस्तेमाल को भी हटाया गया है। हिंदी भाषा विवाद पर मंत्री चंद्रशेखर बावनकुळे ने कहा, राज्य में मराठी जरूरी है, लेकिन हिंदी हो सकती है एक वैकल्पिक भाषा।
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ठाकरे बंधु कर रहे सबसे ज्यादा विरोध
हिंदी को तीसरी अनिवार्य़ भाषा बनाने का सबसे ज्यादा विरोध ठाकरे बंधु ( उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे) कर रहे हैं। उद्धव और राज़ ठाकरे दोनों ने फडणवीस सरकार के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। दोनों ने विरोध प्रदर्शन का ऐलान करते हुए कहा है कि मराठी भाषा की अस्मिता से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। महाराष्ट्र में मराठी बनाम हिंदी का सियासी रण भीषण होता जा रहा है। पहले राज़ ठाकरे की पार्टी एमएनएस ने मराठी के समर्थन और हिंदी के विरोध में आवाज बुलंद की। एमएनएस कार्यकर्ता मराठी के समर्थन में सिग्नेचर कैंपेन (हस्ताक्षर अभियान) चला रहे हैं।
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