भुवनेश्वर. ओडिशा के पवित्र शहर पुरी में बहुप्रतीक्षित रथ यात्रा या भगवान जगन्नाथ के रथ उत्सव के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई है. भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा आज अपनी जन्मस्थली गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे. यह नौ दिवसीय वार्षिक यात्रा आज से शुरू हो रही है, जिसका साक्षी बनने के लिए विश्वभर के श्रद्धालु उत्साहित हैं. (Puri Jagannath Rath Yatra 2025 LIVE)

रथ यात्रा हर साल हिंदू पंचांग के आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है. यह जगन्नाथ मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण उत्सव है, जिसमें पवित्र त्रिदेव (जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा) अपनी जन्मस्थली, गुंडिचा मंदिर, की ओर रथ पर सवार होकर यात्रा करते हैं. गुंडिचा मंदिर, जिसे भगवान का उद्यान गृह या यज्ञ वेदी भी कहा जाता है, जगन्नाथ मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
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रथ यात्रा के दौरान सभी संप्रदायों, जातियों और धर्मों के श्रद्धालु त्रिदेव के दर्शन करते हैं. इस अनूठी यात्रा को देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते हैं. परंपरा के अनुसार, ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को स्नान यात्रा के दौरान 108 कलशों से सुगंधित जल से स्नान करने के बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा बीमार पड़ जाते हैं. इस स्नान को भगवान जगन्नाथ का जन्मदिन माना जाता है.

इसके बाद, 15 दिनों तक त्रिदेव एकांतवास में रहते हैं, जिसे ‘अनासर’ काल कहा जाता है. इस दौरान श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति नहीं होती और ‘दैतपति’ नामक विशेष सेवकों द्वारा कुछ गोपनीय अनुष्ठान किए जाते हैं. इस अवधि में त्रिदेव को आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां, फल आदि दिए जाते हैं ताकि वे स्नान के बाद होने वाली बीमारी से जल्दी ठीक हो सकें. पूरी तरह स्वस्थ होने पर त्रिदेव श्रद्धालुओं को ‘नव यौवन दर्शन’ देते हैं, जो आमतौर पर रथ यात्रा से एक दिन पहले होता है.
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने पुरी में रथ यात्रा की समीक्षा बैठक के दौरान सभी हितधारकों, सेवकों, जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों से उत्सव के सुचारू और निर्बाध संचालन के लिए सहयोग की अपील की. पर्यटकों और स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई है, जिसमें एआई कैमरे और स्नाइपर्स की तैनाती शामिल है.