जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (JNUTA) ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक खुला पत्र लिखकर कुलपति प्रो. शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित को पद से हटाने की मांग की है. संघ का आरोप है कि विश्वविद्यालय इस समय ‘शासन संकट’ (Crisis of Governance) का सामना कर रहा है और कुलपति पर ‘पद के दुरुपयोग’ और ‘व्यक्तिगत द्वेष’ का आरोप लगाया गया है.

डॉ. रोहन चौधरी की बर्खास्तगी पर सवाल

JNUTA ने विशेष रूप से सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज (CPS) के युवा असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रोहन वी.एच. चौधरी की बर्खास्तगी को अनुचित बताया. पत्र में कहा गया कि यह फैसला न केवल कानून और नियमों के खिलाफ है, बल्कि इसे एक कमजोर बहाने को अनुशासनात्मक कार्रवाई में बदलने के तौर पर लिया गया. शिक्षक संघ ने इसे एक ‘उदाहरण बनाने की कोशिश’ बताया, जिससे अन्य फैकल्टी सदस्यों में डर पैदा किया जा सके.

असहमति दबाने का आरोप

JNUTA ने आरोप लगाया कि कुलपति ने विश्वविद्यालय की संवैधानिक संरचना को कमजोर कर दिया है. नियुक्तियां, प्रमोशन और यहां तक कि फैकल्टी हाउसिंग आवंटन भी ‘पिक एंड चूज’ नीति के तहत किए जा रहे हैं. संघ ने कहा कि इसका इस्तेमाल एक ‘गाजर-छड़ी नीति’ (Carrot and Stick Policy) की तरह किया जा रहा है, जिससे असहमति की आवाजों को दबाया जा सके और शिक्षकों पर दबाव बनाया जा सके.

अब बहुत देर हो चुकी है- JNUTA

पत्र में कहा गया कि JNUTA अब तक राष्ट्रपति से संपर्क नहीं कर रहा था क्योंकि उम्मीद थी कि विश्वविद्यालय के भीतर ही समस्याओं का समाधान निकल आएगा. लेकिन डॉ. चौधरी की बर्खास्तगी ने हालात को ‘टिपिंग प्वाइंट’ पर पहुंचा दिया है. पत्र में लिखा है, “अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि शिक्षकों की नजर में कुलपति अपनी साख वापस नहीं पा सकतीं.”

राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की अपील

शिक्षक संघ ने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि वह जेएनयू एक्ट के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए तुरंत हस्तक्षेप करें. साथ ही, उन्होंने राष्ट्रपति से व्यक्तिगत मुलाकात का अनुरोध भी किया है ताकि विश्वविद्यालय की स्थिति को विस्तार से समझाया जा सके. यह कदम विश्वविद्यालय में प्रशासनिक संकट और शिक्षकों के असंतोष को उजागर करता है, जो अब सीधे राष्ट्रपति तक पहुंच चुका है.

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