सत्या राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता आयोग ने रायपुर के गुढ़ियारी रोड कोटा स्थित सुयश हॉस्पिटल को चिकित्सकीय लापरवाही के मामले में 15 लाख रुपये मुआवजा, 6% वार्षिक ब्याज सहित, 1 लाख रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति और 10,000 रुपये वाद व्यय के रूप में भुगतान करने का आदेश दिया है। यह निर्णय परिवादिनी हिना सोनी द्वारा अपने पति हिमांशु सोनी की मृत्यु के मामले में दायर परिवाद के बाद आया, जिसमें अस्पताल पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया गया था।


ये है पूरा मामला
हिमांशु सोनी, जो 2008 में एक वाहन दुर्घटना में घायल होने के बाद पैरों में शून्यता और पेशाब नली की समस्या से पीड़ित थे। उन्हें 18 दिसंबर 2010 से 24 दिसंबर 2010 तक सुयश हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। वहां उनकी पेशाब नली का लेजर ऑपरेशन किया गया और 24 दिसंबर 2010 को उन्हें ठीक बताकर डिस्चार्ज कर दिया गया। हालांकि, 26 दिसंबर 2010 को हिमांशु को असहनीय दर्द होने पर फिर से अस्पताल लाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें इंजेक्शन लगाया। इसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई और उनकी मृत्यु हो गई।
हिना सोनी ने जिला उपभोक्ता आयोग रायपुर में परिवाद दायर कर सुयश हॉस्पिटल पर चिकित्सकीय लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि अस्पताल के चिकित्सकों की लापरवाही के कारण उनके पति की मृत्यु हुई।
सुयश हॉस्पिटल ने अपने बचाव में कहा कि हिमांशु को 26 दिसंबर 2010 को मृत अवस्था में लाया गया था और उन्हें कोई इंजेक्शन नहीं दिया गया। हालांकि, जिला उपभोक्ता आयोग में चिकित्सकों ने प्रतिपरीक्षण के दौरान स्वीकार किया कि मृत मरीज को पुनर्जनन के प्रयास में इंजेक्शन दिया गया था। यह विरोधाभासी बयान अस्पताल की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।
जिला उपभोक्ता आयोग रायपुर ने पाया कि अस्पताल के चिकित्सकों ने विरोधाभासी बयान दिए और न तो सीसीटीवी फुटेज और न ही विजिटर रजिस्टर जैसे साक्ष्य प्रस्तुत किए। इसके अलावा, हिमांशु के पिता अरविंद भाई सोनी को चिकित्सकीय दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए, जिसके कारण विशेषज्ञ राय नहीं ली जा सकी। इन तथ्यों के आधार पर आयोग ने अस्पताल की चिकित्सकीय लापरवाही को प्रमाणित माना और परिवादिनी के पक्ष में फैसला सुनाया।
सुयश हॉस्पिटल द्वारा जिला आयोग के आदेश के खिलाफ दायर अपील को छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता आयोग ने खारिज कर दिया। अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम चौरडिया और सदस्य प्रमोद कुमार वर्मा की पीठ ने जिला आयोग के आदेश को यथावत रखते हुए अस्पताल को 15 लाख रुपये (26 नवंबर 2012 से भुगतान तक 6% ब्याज सहित), 1 लाख रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति और 10,000 रुपये वाद व्यय का भुगतान करने का आदेश दिया।
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