रायपुर/ बिलासपुर. मेडिकल, डेंटल और नर्सिंग कॉलेजों में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर पदों पर संविदा शिक्षकों को आयु सीमा और बोनस मार्क्स देने के संबंध में जारी राज्य शासन की अधिसूचना को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है. इस अधिसूचना को पहले से कॉलेजों में कार्यरत नियमित सहायक प्राध्यापकों ने चुनौती दी थी.


प्रदेश में संचालित मेडिकल कॉलेज, डेंटल कॉलेजों और नर्सिंग कॉलेजों में एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के पदों पर प्रमोशन किया जाना है. इसके लिए राज्य शासन ने मेडिकल एजुकेशन सर्विस रिक्रूटमेंट रूल्स 2013, एक अधिसूचना जारी की है. इसमें साफ कहा गया है कि, इन रिक्त पदों पर कॉलेजों में कार्यरत संविदा प्राध्यापकों को सीधी भर्ती के अंतर्गत आयु सीमा में छूट दी जाएगी इसके अलावा चयन में बोनस अंक भी प्राप्त होंगे. इस तरह इन्हें पहले प्राथमिकता दी जाएगी. लोक सेवा आयोग के माध्यम से यह सभी पद सीधी भर्ती से पूरे किये जा रहे हैं, इसी वजह से इन कॉलेजों में पदस्थ नियमित प्राध्यापकों इसका विरोध किया. इसके बाद कोई विभागीय पहल नहीं होने पर इन सबने हाईकोर्ट की शरण ली. इस मामले में डॉ. नरेंद्र प्रसाद ओंकार, डॉ आशीष सिंह, डॉ समीर, डॉ. केशव, डॉ. स्मिता डा अर्नब, डॉ. रजत, डॉ ममता समेत अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से हिमांशु पाण्डेय सीनियर एडवोकेट मनोज परांजपे, घनश्याम कश्यप, विकास दुबे आदि ने पक्ष रखा. अलग-अलग याचिकाएं पेश की गईं. इन सब पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डीबी में सुनवाई हुई. याचिका में कहा गया कि, जो पद अभी शासन सीधे भर्ती के जरिए पूरा करने जा रहा है, उसमें पहले नियमित प्राध्यापकों को पदोन्नति के माध्यम से अवसर देने का प्रावधान है. इस अधिसूचना के साथ शासन नियमित याचिकाकर्ताओं को नजरअंदाज कर सीधी भर्ती व चयन कर रहा है, जो वैधानिक नहीं कहा जा सकता है. डिवीजन बेंच ने सुनवाई के बाद इन तों से सहमत होते हुए राज्य शासन की इस अधिसूचना को निरस्त कर दिया.
वैधानिक आदेश रद्द नहीं होगा अधिसूचना से
कोर्ट ने निर्णय देते समय अपनी शीर्ष टिप्पणी में कहा कि, छत्तीसगढ़ चिकित्सा शिक्षा (राजपत्रित) सेवा एवं संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएँ, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की सेवा शर्तें, जिसे छत्तीसगढ़ चिकित्सा शिक्षा (राजपत्रित) सेवा भर्ती नियम, 2013 के नाम से जाना जाता है, के नियम 22 के अंतर्गत छूट की शक्ति सेवा शर्तों तक ही सीमित है और यह किसी मूल भर्ती प्रावधान को रद्द या संशोधित नहीं कर सकती. कोई कार्यकारी अधिसूचना 100 प्रतिशत पदोन्नति की आवश्यकता वाले किसी वैधानिक आदेश को रद्द नहीं कर सकती.
अधिसूचना में यह था
चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधीन समस्त शासकीय चिकित्सा, शासकीय दंत शासकीय नर्सिंग एवं शासकीय फिजियोथेरेपी महाविद्यालय में सह प्राध्यापक एवं प्राध्यापक के रिक्त पदोन्नति के पदों को छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के माध्यम से सीधी भरती से भरने हेतु एक बार की छूट प्रदान की जाती है. जिन शिक्षकों ने प्रदेश के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, शासकीय दंत महाविद्यालय, शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय एवं शासकीय फिजियोथेरेपी महाविद्यालयों में संविदा पर शैक्षणिक कार्य किया है, तो उसे कार्य के प्रत्येक पूर्ण वर्ष के लिये 1 वर्ष एवं अधिकतम 10 वर्ष की छूट आयु सीमा प्रदान की जाती है. शैक्षणिक कार्य करने के लिए प्रत्येक पूर्ण वर्ष के अनुभव के लिए 2 बोनस अंक दिये जायेंगे.