India Reduce Russian Oil Imports: आने वाले दिनों में भारत की रिफाइनिंग कंपनियां रूस से कच्चे तेल की खरीद में कटौती कर सकती हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने कहा है कि वह सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार अपनी रूसी तेल की खरीद समायोजित करेगी. इसी के साथ सरकारी तेल कंपनियां भी अपने शिपमेंट और व्यापार दस्तावेजों की गहराई से जांच कर रही हैं.
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रिलायंस ने दिया संकेत, सरकारी कंपनियां भी अलर्ट पर
सूत्रों के अनुसार, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां नवंबर के बाद आने वाले तेल शिपमेंट्स की बारीकी से जांच कर रही हैं. उनका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि आने वाली सप्लाई सीधे रूस की कंपनियों रोसनेफ्ट या लुकोइल से न हो.
केंद्र सरकार ने निजी तौर पर रिफाइनिंग कंपनियों को संकेत दिया है कि वे धीरे-धीरे रूसी तेल पर निर्भरता घटाएं और वैकल्पिक स्रोतों की तलाश शुरू करें.
अमेरिका ने लगाई सख्त पाबंदियां (India reduce Russian Oil Imports)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर आर्थिक प्रतिबंध (Sanctions) लगाने का ऐलान किया है. यह पाबंदियां 21 नवंबर 2025 से लागू होंगी. इस दौरान कंपनियों को रूस के साथ अपने सभी व्यावसायिक लेन-देन खत्म करने होंगे.
अमेरिका ने साफ चेतावनी दी है कि अगर कंपनियों ने आदेश का पालन नहीं किया तो उन पर भारी जुर्माना, ब्लैकलिस्टिंग या व्यापारिक रोक लग सकती है.
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ट्रम्प ने कहा- मोदी ने वादा किया, भारत रूस से तेल खरीद बंद करेगा
19 अक्टूबर को राष्ट्रपति ट्रम्प ने दावा किया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर बात की है. उनके अनुसार, पीएम मोदी ने भरोसा दिलाया है कि भारत धीरे-धीरे रूस से तेल की खरीद बंद कर देगा.
22 अक्टूबर को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रम्प ने कहा, “तेल खरीदना कोई एक दिन में बंद होने वाली प्रक्रिया नहीं है, लेकिन भारत साल के अंत तक रूसी तेल की खरीद शून्य कर देगा.”
टैरिफ का दबाव भी बढ़ा (India reduce Russian Oil Imports)
ट्रम्प प्रशासन ने अगस्त में भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ भी लगा दिया था, जो रूस से तेल खरीदने के कारण लगाया गया दंडात्मक शुल्क था. इससे पहले से लागू 25% रेसीप्रोकल टैरिफ के साथ अब भारत पर कुल 50% टैक्स का बोझ है.
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तेल की कीमतों पर असर पड़ सकता है
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत रूसी तेल खरीदना घटाता है, तो पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं.
दरअसल, रूस से आने वाला तेल काफी सस्ता होता है. अब अगर भारत को तेल मध्य पूर्व या अमेरिका से लेना पड़ेगा, तो रिफाइनिंग लागत बढ़ेगी और यह सीधा असर आम उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा.
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बढ़ी थी रूस से खरीद (India reduce Russian Oil Imports)
2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत ने बड़ी मात्रा में डिस्काउंटेड रूसी तेल खरीदा था. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2022 से अब तक भारत ने करीब 140 अरब डॉलर मूल्य का रूसी कच्चा तेल खरीदा है.
रिलायंस समेत अन्य रिफाइनिंग कंपनियों ने इस तेल को प्रोसेस करके पेट्रोल और डीजल के रूप में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेचा था.
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