अंबिकापुर। जिले के उदयपुर ब्लॉक में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को आवंटित परसा कोयला परियोजना को शुरू कराने की मांग लेकर ग्रामीणों का एक बड़ा समूह मंगलवार को सरगुजा कलेक्टर के जनदर्शन में पहुंचा। यहां उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम से परियोजना के प्रभावित छह ग्रामों के करीब 170 से अधिक ग्रामीणों ने हस्ताक्षरित ज्ञापन, जिला कलेक्टर विलास भोसकर को सौंपा।
ग्रामीणों ने ज्ञापन में लिखा कि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को सरगुजा और सूरजपुर जिला अन्तर्गत आवंटित परसा कोयला ब्लाक से प्रभावित छः ग्रामों तारा, जनार्दनपुर, साल्ही, हरिहरपुर, फतेपुर एवं घाटबर्रा की भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। इसमें से ग्राम साल्ही, घाटबर्रा एवं जनार्दनपुर में मुआवजा भी बांटा जा चुका है जबकि शेष तीन ग्रामों में मुआवजा वितरण की प्रक्रिया जारी है। भूमि के अर्जन के उपरान्त परियोजना के पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन योजना के तहत हमने रोजगार का विकल्प चुना है, किंतु परसा परियोजना का संचालन शुरू नहीं होने के कारण आरआरवीयूएनएल संस्थान हमें रोजगार प्रदान करने में असमर्थ है।
215 को नहीं मिली नौकरी, ढल रही उम्र
इस दौरान जनदर्शन में मौजूद, मोहर पोर्ते, रामेश्वर दास, जगपाल इत्यादि ग्रामीणों ने बताया कि परसा कोयला ब्लाक के अन्तर्गत सभी छह गांव के कुल 819 लोगों ने अपना मुआवजा ले लिया है, जिसमें से लगभग 225 लोगों ने पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन योजना के प्रावधानों के अंतर्गत रोजगार का विकल्प चुना है, किन्तु अब तक 10 लोगों को रोजगार प्रदान किया गया है जबकि शेष 215 लोग अभी भी रोजगार की प्रतीक्षा कर रहे हैं। परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि के मुआवजा वितरण का कार्य अप्रैल 2020 से किया जा रहा है और हमें आज तक रोजगार प्राप्त नहीं हुआ है। हमारी उम्र धीरे-धीरे ढलती जा रही है और हमारे पास जो भूमि थी उसे भी हमने आरआरवीयूएनएल को दे दिया है, अब हमारे पास खेती के लिए भी जमीन उपलब्ध नहीं है, जिससे हम खेती करके अपने परिवार के दो वक्त की रोटी की व्यवस्था करने में असमर्थ हैं। परसा परियोजना के आने से हम लोगों में यह आस जगी थी कि खदान खुलने से हमें रोजगार प्राप्त होगा एवं हमें सतत आय प्राप्त होगी। इससे हमारे परिवार का भरण पोषण अच्छे से हो पायेगा और हमारे जीवन स्तर में सुधार होगा किन्तु सरकार द्वारा आज तक इसका संचालन शुरू नहीं किया गया है, जिससे हमारे जीवन-यापन का संकट उत्पन्न हो गया है।
खदान क्षेत्र के विकास में योगदान दे रही
ग्राम घाटबर्रा के चंद्रकेश्वर पोर्ते ने कहा, सरगुजा क्षेत्र में संचालित आरआरवीयूएनएल की पीईकेबी खदान द्वारा पिछले 12 वर्षों में यहाँ के आदिवासी समुदाय के जीवन में बड़ा सुधार लाया गया है। सामाजिक सरोकार के तहत मुफ्त अंग्रेजी माध्यम स्कूल से शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, रोजगार, और महिलाओं के सशक्तिकरण से उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति मजबूत हुई है। इसके साथ ही, खदान द्वारा 13 लाख पेड़, कोयला निकाली गई भूमि पर लगाकर नया जंगल उगाया गया है, जिससे पर्यावरण में सुधार हुआ है। राज्य को मिलने वाले विभिन्न करों के माध्यम से भी यह खदान क्षेत्र के विकास में योगदान दे रही है, जिससे आदिवासी समुदाय का जीवन स्तर बेहतर हुआ है। अगर पीसीबी ब्लॉक भी चालू होता है, तो इस क्षेत्र की प्रगति और तेज होगी, जिससे समग्र विकास को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन कुछ बाहरी तत्वों के द्वारा एनजीओ के माध्यम से गलत दुष्प्रचार कर यहां बार-बार गैरकानूनी तरीके से धरना, प्रदर्शन का आयोजन कर, परियोजना को चालू करने में व्यवधान उत्पन्न किया जा रहा है। यह कृत्य कुछ लोगों के निहित स्वार्थ के कारण किया जा रहा है, जिससे न केवल परियोजना चालू होने में विलम्ब हो रहा है बल्कि, हम ग्रामीणों को मिलने वाले रोजगार में भी विलम्ब हो रहा है। इस तरह कुछ बाहरी लोगों के अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए हम सभी ग्रामीण आदिवासी बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। हम सभी ग्रामीण चाहते हैं कि कोल ब्लाक का संचालन शीघ्र प्रारम्भ हो, जिससे कि हम सभी लोगों को रोजगार प्राप्त हो सके एवं परियोजना द्वारा प्रदान किये जाने वाले सभी लाभों को प्राप्त कर सकें।
अब देखना यह है कि आदिवासी बेरोजगार युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर कब विचार करती है। इससे इन युवाओं को परियोजना में रोजगार मिलने की राह सुनिश्चित हो सके।
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