हैदराबाद। आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में प्रसिद्ध कनक दुर्गा मंदिर में एक भक्त देवी कनक दुर्गा को सोने का मुकुट चढ़ाया है. मुकुत की कीमत 2.5 करोड़ रुपए आंकी गई है. सोने और हीरे से बना मुकुट भेंट करने वाले भक्त का नाम मंदिर प्रशासन ने गुप्त रखा है.

इंद्रकीलाद्रि पर्वत पर बना और कृष्णा नदी के तट पर स्थित कनक दुर्गा मां का यह मंदिर बहुत प्राचीन है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में स्थापित देवी कनक दुर्गा की मूर्ति ‘स्वयंभू’ है. यहां हमेशा भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है. नवरात्रि के दौरान तो भीड़ और भी बढ़ जाती है.

पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर में भक्तों की ध्वनि से पूरा वातावरण और भी आध्यात्मिक हो जाता है. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों और रास्तों का प्रावधान है, लेकिन ज्यादातर भक्त सीढ़ियों का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं, जो इस मंदिर तक पहुंचने का सबसे कठिन रास्ता है. वहीं कुछ भक्त हल्दी से सजी सीढ़ियां चढ़ते हैं, जिसे ‘मेटला पूजा’ (सीढ़ियों की पूजा) कहा जाता है. माता कनक दुर्गेश्वरी का मंदिर आंध्र प्रदेश के प्रमुख मंदिरों में से एक है.

मंदिर से जुड़ी कहानी

यह भी माना जाता है कि इसी स्थान पर भगवान शिव की कठोर तपस्या के परिणामस्वरूप अर्जुन को पाशुपथ हथियार प्राप्त हुआ था. इस मंदिर का निर्माण अर्जुन ने मां दुर्गा के सम्मान में करवाया था. यह भी माना जाता है कि आदिदेव शंकराचार्य ने भी यहां आकर अपना श्रीचक्र स्थापित किया था और वैदिक रीति से मां देवी की पूजा की थी.

महिषासुर का वध करते समय माता आठ हाथों में अस्त्र-शस्त्र और सिंह पर सवार होकर इंद्रकीलाद्री पर्वत पर स्थापित हो गईं. पास ही एक चट्टान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में शिव भी स्थापित थे. ब्रह्मा ने यहां मल्लेलु (बेला) के फूलों से शिव की पूजा की, इसलिए यहां स्थापित शिव का नाम मल्लेश्वर स्वामी पड़ा.