अयोध्या। भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में 57 दिन के लिए महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। इसका उद्देश्य विश्व शांति और कल्याण को बढ़ावा देने है। भव्य दिव्य रुद्र सहिता सहस्र चंडी महायज्ञ का यह आयोजन श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, श्री कांची कामकोटि पीठम और चिन्मयी सेवा ट्रस्ट की ओर से किया जाएगा।
इस महायज्ञ का शुरुआत 2 नवंबर से होगी। जो 28 दिसंबर तक चलेगा। इसके जरिए पूरे विश्व में शांति, खुशी, समृद्धि और कल्याण के लिए भगवान रुद्र और देवी चंडी के आशीर्वाद की कामना की जाएगी। भारत के 850 से अधिक वैदिक ऋत्विक प्राचीन अनुष्ठान के साथ पर्यावरण को शुद्ध करने का काम करेंगे।
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महायज्ञ में क्या कुछ रहेगा खास
- 57 दिन चलने वाले इस महायज्ञ में विश्व शांति के लिए रोजाना कई धार्मिक कार्य किए जाएंगे।
- 14 हवन होंगे (प्रतिदिन 48 जोड़ों तक सीमित)
- 2 शरसा चंडी हवन (प्रति दिन 2 जोड़ों तक सीमित)
- 850 वैदिक ऋत्विक पवित्र अनुष्ठान में शामिल होंगे।
महायज्ञ का शेड्यूल
- रोजाना सुबह 8 बजे से कार्यक्रम शुरू होगा। जो सुबह 11 बजे तक चलेगा।
- सबसे पहले लक्ष्मी गणपति मंत्र पाठ होगाषॉ, जिसमें 28 लाख लोग शामिल होंगे।
- सुब्रह्मण्यम महामन्त्रनुष्ठानम् एवं अभिषेकम् होगा।
- सहस्र लिंगार्चन, षोडसवर्णपूजा एवं रुद्राभिषेकम्, चंडी सप्तशती और महारुद्रम का जाप, दुर्गा सप्तशती हवन, सुदर्शन महामंत्र समेत कई जाप होंगे।
- लक्ष्मी नृसिंह, राम षडाक्षरी (66 लाख), कार्तवीर्यार्जुन, धन्वंतरि सामूहिक श्री सीतामूला कल्याणम और कुमारी पूजा होगी।
- शाम 5 से 7 बजे तक कई कार्यक्रम होंगे। लक्ष्मी गणपति, सुब्रह्मण्य, आदित्य, सुदर्शन, वनदुर्गा, नवग्रह, श्री रामतारक, अंजनेय, महालक्ष्मी, धन्वंतरि, मृत्युंजय, सरस्वती के हवन होंगे।
- शाम 7 बजे से रात 9 बजे तक रुद्राक्रममार्चना दिक्पालक बलिहारण तीर्थ प्रसाद को सभी भक्तों में वितरित किया जाएगा।
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आपको बता दें कि यह महायज्ञ अयोध्या और कांची के बीच के संबंध की ऐतिहासिक संस्कृति की याद दिलाता है। जहां राजा दशरथ ने पुत्र कामेष्टि यज्ञ किया था। जिसके परिणामस्वरूप भगवान राम का जन्म हुआ था। राम जन्मभूमि में आयोजित किए जा रहे इस महायज्ञ के कई लाभ हैं। यह यज्ञ स्वास्थ्य संकट, वित्तीय अस्थिरता और संघर्ष जैसी चुनौतियों के लिए समाधान सामने रख देता है। शांति, समृद्धि और कल्याण को बढ़ावा देता है और पर्यावरण शुद्धिकरण का भी समर्थन करते हैं।
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