Diwali Speical: हिंदू धर्म के हर प्रमुख त्योहार से जुड़ी कई स्थानीय परंपराएं प्राचीन काल से लेकर आज तक निभाई जाती हैं. उन्हीं खास परंपराओं में से एक है दिवाली पर निभाई जाने वाली हाट परंपरा. दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के समय हर घर में मिट्टी के हाट भरे होते हैं. यहां तक ​​कि सोने-चांदी से बना हाट भी मिट्टी के बाजार की जगह नहीं ले सका. राजस्थान में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. आज भी दिवाली के त्योहार पर मिट्टी के बाजारों को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है.

हाट पांच मिठाइयों से भरा जाता है

दिवाली पर हर घर हाट भरा जाता है. दिवाली पर मिट्टी का यह हाट भरना बहुत शुभ माना जाता है. इसमें कहा गया है कि छोटे बच्चों की लंबी उम्र और वंश के विकास के लिए दिवाली पूजा के दौरान हर घर में यह हाट भराता है. ये मिट्टी के हाट लट्टू, बर्फी, इमरती समेत पांच तरह की मिठाइयों से भरे रहते हैं.

कुंभकारों के अनुसार मिट्टी के हाट के बिना लक्ष्मी की पूजा अधूरी मानी जाती है. इस हाट को बड़ी मेहनत से तैयार किया गया है. दिवाली पर लक्ष्मी पूजा में उपयोग होने के कारण करौली में मिट्टी की हाट में भी काफी मांग रहती है. कई बार मांग इतनी ज्यादा होती है कि पूरी भी नहीं हो पाती.

Diwali Speical: हाट क्या है?

यह मिट्टी हाट पांच मिट्टी के कुल्हड़ों का एक संयोजन है. इसमें चार कुल्हड़ एक दूसरे से जुड़े होते हैं और पांचवां कुल्हड़ उनके ऊपर रखा जाता है. हाट मिट्टी और गाय के गोबर से बनाया जाता है और कुंभकार परिवार इसे शुद्ध रंगों और देसी पेंटिंग से सजाते हैं.