नितिन नामदेव, रायपुर। आचार्य महाश्रमण के सुशिष्य मुनिश्री सुधाकर व सहवर्ती मुनिश्री नरेश कुमार के सान्निध्य में आज इंदर चंद, बिमला देवी, पारख परिवार द्वारा विशेष प्रवचन का आयोजन भाग्योदय का अद्भुत विज्ञान “स्वर विज्ञान” विषय आधारित रायपुर के यूफोरिया अपार्टमेंट, मोवा में आयोजित किया गया, जिसमें विशेष रूप से रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल सपत्नीक उपस्थित हुए.
मुनिश्री सुधाकर ने उपस्थित जनमेदनी को संबोधित करते हुए कहा कि स्वर विज्ञान प्राचीन शास्त्रों में उल्लेखित है. कहा जाता है कि भगवान शिव ने माता पार्वती के आग्रह पर इस अद्भुत विज्ञान के विषय में सर्वप्रथम जानकारी दी. स्वर विज्ञान हमारी श्वास से संबंधित है, हम जो श्वास लेते व छोड़ते हैं उसका भी अपना अद्भुत व महत्वपूर्ण विज्ञान है परंतु हमें यह भी विशेष रूप से जान लेना चाहिए कि यह अत्यन्त गोपनीय विज्ञान है संभवतः इसका क्रमबद्ध विवेचन हमें कही भी प्राप्त नहीं होगा. मुनिश्री ने आगे बताया कि हमारे शरीर में अनेक नाड़ियां है उसमें भी तीन अति महत्वपूर्ण है जो कि हमारी श्वास से संबंधित है. श्वास दो तरह की होती है – चंद्र व सूर्य.
मुनिश्री ने मार्गदर्शित करते हुए बताया कि स्वर विज्ञान में वार का भी अपना महत्व है जैसे सोमवार, बुधवार, गुरुवार व शुक्रवार को चंद्र स्वर व मंगलवार, शनिवार व रविवार को सूर्य स्वर में हमें कोई भी कार्य का प्रारंभ करना चाहिए जिससे हमें लाभ होगा. मुनिश्री ने स्वर विज्ञान को समझने के कई प्रयोग भी उपस्थित जनमेदनी को करवाते हुए उन्हें कैसे पहचानें बताया. मुनिश्री ने आगे कहा कि कुछ दिन पूर्व यूपीएससी कि तैयारी कर रहे विद्यार्थियों पर इस विज्ञान का प्रयोग किया गया और देखा गया कि उन्हें उसका लाभ हुआ. मुनिश्री ने कहा कि श्वास भर कर कोई भी कार्य प्रारंभ करना चाहिए न कि निकालते हुए. स्वर विज्ञान के ज्ञान से हम अनेक व्याधियों का उपचार कर सकते हुए सुख सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं.
मुनिश्री ने बताया कि प्राचीन समय में स्वर विज्ञान के माध्यम से वैद्य द्वारा अनेक बीमारियों का उपचार किया जाता था. मुनिश्री ने कहा कि श्वास का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि कि श्वास है तब तक ही आश है. हमारी आयु का निर्धारण भी श्वास के लेने व छोड़ने के समय पर निर्भर होता है जैसे एक मिनट में हम कितना श्वास लेते व छोड़ते हैं. स्वर विज्ञान विज्ञान आधारित विज्ञान है. आपने देखा होगा जो प्राणी जीतना छोटा श्वास लेता है उसकी उम्र दूसरे की अपेक्षा अधिक या कम होती है. मुनिश्री नरेश कुमार ने सुमधुर गीतिका का संगान किया.
विशेष अतिथि बृजमोहन अग्रवाल जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिस दौर में बच्चे मोबाईल, महिलाएं टीवी सीरियल, युवा लैपटॉप व प्रौढ़ चिंता में व्यस्त हैं उस दौर में मुनिश्री ने रायपुर की धर्म धरा में चार माह जो धर्म की गंगा बहाई है वह अनुमोदनीय है. उन्होंने ने मुनिश्री के संयम जीवन के आध्यात्मिक प्रगति की मंगलकामना की.
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