Rajasthan News: उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बड़े बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ को गद्दी पर बैठाने की परंपरा निभाई गई. लोकतंत्र की स्थापना के बाद भले ही राजशाही खत्म हो गई हो, लेकिन यह रस्म आज भी प्रतीकात्मक रूप में निभाई जाती है. सोमवार, 25 नवंबर को चित्तौड़गढ़ किले के फतह प्रकाश महल में इस परंपरा के तहत खून से राजतिलक की रस्म संपन्न हुई. इस दौरान 21 तोपों की सलामी दी गई.

चित्तौड़गढ़ किले में विश्वराज सिंह मेवाड़ का प्रतीकात्मक राजतिलक

उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बड़े बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ को गद्दी पर बैठाने की परंपरा निभाई गई. लोकतंत्र की स्थापना के बाद भले ही राजशाही खत्म हो गई हो, लेकिन यह रस्म आज भी प्रतीकात्मक रूप में निभाई जाती है. सोमवार, 25 नवंबर को चित्तौड़गढ़ किले के फतह प्रकाश महल में इस परंपरा के तहत खून से राजतिलक की रस्म संपन्न हुई. इस दौरान 21 तोपों की सलामी दी गई.

चित्तौड़गढ़ किला बना ऐतिहासिक रस्म का गवाह

493 वर्षों बाद चित्तौड़गढ़ दुर्ग ने राजतिलक की इस परंपरा को सजीव होते देखा. पिछली बार 1531 ईस्वी में महाराणा विक्रमादित्य का चित्तौड़ में राजतिलक हुआ था. अब मेवाड़ राजवंश की 77वीं पीढ़ी के उत्तराधिकारी विश्वराज सिंह ने महाराणा की उपाधि ग्रहण की. दुर्ग के सातों दरवाजों पर ढोल-नगाड़ों के साथ मेहमानों का स्वागत किया गया.

भव्य आयोजन में शामिल हुए गणमान्य व्यक्ति

इस आयोजन में देशभर के पूर्व राजघरानों के सदस्य, रिश्तेदार, और बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक शामिल हुए. परंपराओं के अनुसार विश्वराज सिंह ने यज्ञ में पूर्णाहुति दी, जिसके बाद कुल देवी बाण माता के दर्शन किए. सलूंबर के रावत देवव्रत सिंह ने परंपरागत राजतिलक की रस्म निभाई, और उमराव, सरदार, बत्तीसा व विभिन्न समाजों के प्रमुखों ने नजराना अर्पित किया.

सिटी पैलेस में धूणी दर्शन का कार्यक्रम

चित्तौड़गढ़ किले पर राजतिलक की रस्म पूरी होने के बाद विश्वराज सिंह उदयपुर सिटी पैलेस में धूणी दर्शन के लिए रवाना हुए. वहां से वह भगवान एकलिंगनाथ के मंदिर जाएंगे. परंपरा के अनुसार, भगवान के आशीर्वाद से पंडित महाराणा का शोक भंग कर रंग बदला जाएगा. इसके बाद महाराणा सफेद के स्थान पर रंगीन पाग धारण कर सकेंगे.

सिटी पैलेस में विवाद की स्थिति

विश्वराज सिंह के सिटी पैलेस आगमन की सूचना के बाद विवाद की स्थिति बन गई. पैलेस के मुख्य द्वार, रंगनिवास और जगदीश चौक के गेट बंद कर दिए गए और बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया.

एकलिंगनाथ के 77वें दीवान बने विश्वराज सिंह

विश्वराज सिंह मेवाड़ के 77वें महाराणा के रूप में मेवाड़ के इतिहास और परंपराओं का प्रतीक बने. वर्तमान में नाथद्वारा से विधायक, विश्वराज सिंह ने इस परंपरा के माध्यम से मेवाड़ राजवंश की धरोहर को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया.

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