विजेंद्र सिंह राणा, सीहोर। आपने अक्सर देखा होगा कि किसान अपने खेतों में कीटनाशक दवाओं के साथ यूरिया और डीएपी खाद का अधिक उपयोग करता है. जिससे उसके खेतों में मौजूद जीव-जंतु और अन्य जीव कीटनाशक दवाओं और रासायनिक खाद के कारण नष्ट हो जाते हैं. जिसके कारण किसान के खेतों की मिट्टी कठोर हो रही है और फसल भी कम होती है. किसान खाद पर खाद फसल में फेंकता रहता है और नुकसान होते रहता है.
वहीं, छापरी भरतपुर में रहने वाले किसान दीपक परिहार जैविक खेती कर रहे हैं. वो खेतों में गौ मूत्र और एक बड़ी टंकी में छाछ, कद्दू, एलोबेरा, गाय का गोबर, सोयाबीन पाउडर सभी को मिक्स करके एक दवाई तैयार की है. जिसे वो खेतों में छिड़काव कर खेतों को कीटनाशक दवाओं से मुक्त बनाकर अच्छी फसल लेते हैं. किसान यूरिया और डीएपी खाद को छोड़कर अपने पशुओं के गोबर से खुद खाद बनाते हैं और फलों के बगीचों में डालते हैं. इससे उन्हें ये फायदा होता है कि उसके फलों के बगीचे के छोटे-छोटे पौधे में फल आने लगते हैं. बिना किसी दवाई के अच्छे फल किसानों को मिलते हैं और इससे अच्छी मोटी कमाई भी होती है.
कृषि वैज्ञानिक आरपी सिंह ने बताया कि किसानों का हमेशा कृषि वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन भी मिलता है. समय-समय पर और किसानों को वैज्ञानिकों के द्वारा अच्छे सुजाव भी दिए जाते हैं. किसान अच्छा काम कर रहे हैं. जैविक खेती की और बढ़ रहे हैं. इससे उनको अच्छा फायदा होगा. फसल अच्छी होगी. अच्छा मुनाफा होगा. फसल के लिए हम किसानों को और आगे भी इसी प्रकार से जैविक खेती के लिए प्रेरित करेंगे.
Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक