Delhi Assembly Elections 2025: दिल्ली का चुनावी दंगल पूरी तरह से तैयार हो गया है। विधानसभा चुनाव के लिए कुछ ही दिन बाकी हैं। यूं तो दिल्ली में मुख्य मुकाबला तीन प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के बीच है, लेकिन छोटी पार्टियां भी कमाल करती रही हैं। ऐसे में क्षेत्रीय और छोटे दलों ने भी चुनावी मैदान में अपने प्रत्याशी उतारें है। जिससे तीन ही दलों की सियासी धड़कन बढ़ गई है। हालांकि यह छोटे दल ऐसे है जिनके नाम किसी ने नहीं सुना होगा? लेकिन उलफेटर करने का दम रखते है।
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर इस बार कुल 699 प्रत्याशी चुनावी मैदान में है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने 68 सीटों पर कैंडिडेट उतारा हैं। जबकि दो सीटें अपने सहयोगी दलों को दी है। JDU एक और एलजेपी एक सीट पर किस्मत आजमा रही है। दिल्ली का चुनावी मुकाबला भले ही तीन प्रमुख राष्ट्रीय दलों के बीच है, लेकिन इस चुनाव में क्षेत्रीय और छोटे दलों ने भी अपनी दस्तक दी है।
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बसपा, AIMIM, और NCP भी मैदान में
ये छोटे दल बड़ा धमाल करने की मंशा लेकर चुनाव रण में उतरे हैं। बहुजन समाज पार्टी (BSP), ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) और अजित पवार की एनसीपी (NCP) ने दिल्ली चुनाव में ताल ठोंकी है। BSP ने 70 सीटों में से बाबरपुर सीट छोड़कर 69 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। बसपा ने इस बार दिल्ली की सियासत में एक नया सियासी प्रयोग करते हुए आरक्षित सीटों पर दलित समाज के प्रत्याशियों को टिकट हैं। वहीं मुस्लिम बहुल सीट पर गैर-मुस्लिम उम्मीदवार को उतारकर दिल्ली चुनाव के मुकाबले को रोचक बना दिया है।
AIMIM ने मुस्लिम वोटों के सहारे दिल्ली के चुनाव में सिर्फ दो सीटों पर ही प्रत्याशी उतारा हैं। मुस्तफाबाद सीट पर दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन और ओखला सीट से सफाउर रहमान को टिकट दिया है। AIMIM के दोनों ही प्रत्याशी जेल में बंद हैं और जेल से ही चुनाव लड़ रहे हैं।
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महाराष्ट्र की सियासत के दिग्गज नेता व डिप्टी सीएम अजित पवार की एनसीपी भी दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ रही है। NCP 70 में से 30 सीट पर किस्मत आजमा रही है। इसके अलावा दलित राजनीतिक के उभरते चेहरे चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी ने भी दिल्ली चुनाव में कई सीटों पर कैंडिडेट को मैदान में उतारा है।
इन पार्टियों का नहीं सुना होगा नाम?
यहीं नहीं कई ऐसी पार्टियां भी किस्मत आजमाने उतरी हैं, जिनके नाम लोगों ने पहली बार सुने होंगे। इन पार्टियों का न तो दिल्ली में कोई संगठन है और न ही सियासी आधार बावजूद इसके दिल्ली के रण में किस्मत आजमा रहे हैं। इस लिस्ट में आम आदमी संघर्ष पार्टी (एस), गरीब आदमी पार्टी, सम्राट मिहिर भोज समाज पार्टी, आपकी अपनी पार्टी, सांझी विरासत, राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी (सत्या), वन भारत सिटीजन पार्टी, बहुजन शोषित समाज संघर्ष पार्टी, समता पार्टी, रिपब्लिक सेना, नवरंग कांग्रेस पार्टी, आम जनता पार्टी और असंख्य समाज पार्टी जैसे नाम वाली पार्टियों ने ताल ठोंकी है। हालांकि ये छोटी-छोटी पार्टियां केवल तीन-चार सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है।
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छोटी पार्टी, बड़ा धमाल
आपको बता दें कि दिल्ली में छोटी पार्टियां और निर्दलीय विधायक चुने जाते रहे हैं। दिल्ली में विधानसभा बहाल होने के बाद 1993 के चुनाव में तीन निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 1998 में जनता दल के एक प्रत्याशी और दो निर्दलीय प्रत्याशी बदरपुर और सीलमपुर से जीते थे। साल 2003 के चुनाव में बदरपुर में एनसीपी और जनता दल सेक्युलर से एक प्रत्याशी और नजफगढ़ विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली थी।
साल 2008 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के 2, लोक जनशक्ति पार्टी के एक और नजफगढ़ से एक निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। 2013 विधानसभा चुनाव में जेडीयू से एक, शिरोमणि अकाली दल से एक और मुंडका सीट से एक निर्दलीय विधायक चुना गया था। लेकिन आम आदमी पार्टी के दिल्ली की सियासत में उदय के बाद से निर्दलीय, अन्य राष्ट्रीय दल और क्षेत्रीय दलों के प्रत्याशियों की जीत का सिलसिला थम गया। दिल्ली का चुनाव आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच सिमट कर रह गया है। अब देखना होगा कि इस बार दिल्ली में ये छोटे दल कितना बड़ा धमाल करते हैं। दिल्ली की 70 सीटों पर 5 फरवरी को वोटिंग होगी। वहीं 8 फरवरी को मतों की गिनती की जाएगी।
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