विक्रम मिश्र, लखनऊ। महाकुम्भ नगर में संगम का पानी लगातार बह कर अपने मुकाम को पहुच रहा है जबकि आस्था की डुबकी धर्म के महाकुम्भ को लेकर आमजनमानस में भी उत्साह देखने को मिल रहा है। लेकिन सियासत के तो अपने नियम कायदे और अनुपात होते है। महाकुम्भ में सियासत भी जोरशोर से हो रही है। ताजा मामला मुलायम सिंह यादव को पीडीए के भगवान के रूप में स्थापित करने की है। जिसपर बयानबाज़ी तेज हो चली है। अयोध्या के हनुमानगढ़ी के महंत राजूदस के ट्वीट के बाद सर्द माहौल में गुनगुनी गर्मी का एहसास मिलने लगा था। मामला अभी शांत भी नहीं हुआ कि अब भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत ज्ञानदास ने राजुदास पर अपनी टिप्पणी कर और भी गरम कर दिया है।

राजू दास कोई महंत नहीं है

ज्ञानदास ने कहा कि राजू दास कोई महंत नहीं है। उनको इस तरह की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। ऐसे लोगों पर कार्रवाई होगी। यह साधु की भाषा नहीं है। राजू दास को अयोध्या पहुंचकर तलब कराऊंगा। इसके पहले अखिलेश यादव ने भी महाकुम्भ में कैबिनेट बैठक और राजनीति को लेकर पलटवार किया था। ऐसे ही जगतगुरु अविमुक्तेश्वरनन्द ने भी एक बयान जारी कर कहा है कि महाकुम्भ आस्था का प्रतीक है। जहां पर संत समागम ही होना चाहिए लेकिन आप अगर आएंगे तो हर 10 मीटर पर बड़े बड़े होर्डिंग पोस्टर्स सरकारी विज्ञापनों के चस्पा है।

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मिल्कीपुर अयोध्या का प्रयागराज कांटेक्ट

उत्तर प्रदेश की अयोध्या में स्थित एक विधानसभा मिल्कीपुर में उप चुनाव की तारीख की घोषणा हो चुकी है। जबकि प्रयागराज में महाकुम्भ भी शबाब पर है। ऐसे में राम सर्किट के साथ अलग तीर्थ प्रोजेक्ट का ऐलान पूर्वांचल की कम से कम 40 सीटों पर प्रभाव डालेगा। इसके अलावा मिल्कीपुर को लेकर जिस प्रकार से भाजपा की रणनीति देखने को मिली है उसका प्रयोग वो अन्य जिलों में भी कर सकते है।

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महाकुंभ नगर में आस्था की डुबकी

महाकुम्भ में स्नान के बाद लाखों की संख्या में भक्त अयोध्या की तरफ रुख कर रहे है। जिससे कि अयोध्या की स्थानीय लोगो की कमाई में इजाफा हो रहा है। जबकि प्राणप्रतिष्ठा के द्वितीय वर्षगांठ के उपलक्ष्य में जिस तरह से योगी कार्यक्रम को संचालित कर अयोध्या को सौगात दिए थे उसके कई राजनैतिक मायने निकाले जा रहे है।