Weather Update: उत्तर भारत (North India) से ठंड की वापसी होने लगी है. इसी के साथ गर्मी ने दस्तक देना शुरू कर दिया है. सुबह और देर रात ठंड महसूस हो रही है. वहीं दिन में पारा गर्मी पिछले रिकार्ड को तोड़ने की कोशिश में लगा हुआ है. मौसम के बदलाव ने लोगों को उलझन में डाल दिया है. कई क्षेत्रों का पारा फरवरी में ही पिछले कई सालों के रिकार्ड से सामान्य से उपर है. इसे लेकर मौसम विभाग (India Meteorological Department) ने अलर्ट जारी किया है.

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राजधानी दिल्ली में न्यूनतम तापमान 9.2 डिग्री दर्ज किया गया, जो सामान्य से 0.8 डिग्री ज्यादा है. मौसम विभाग (IMD) ने शुक्रवार को जानकारी दी कि जनवरी में मौसम गर्म और शुष्क रहा, लेकिन फरवरी में देश के कई क्षेत्रों में औसत से कम बारिश होने की संभावना है. इसका असर देश के कई राज्यों में गेहूं, मटर, चना और जौ जैसी रबी फसलों की होने वाली खेती पर पड़ेगा. इन फसलों के लिए बारिश बेहद खास होती है, लेकिन मौसम विभाग के मुताबिक, इस साल कई क्षेत्रों में सूखे जैसी स्थिति होगी.

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IMD ने जानकारी देते हुए कहा कि जनवरी में गर्म रहने के बाद फरवरी में देश के ज्यादातर क्षेत्रों में अधिक तापमान और सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है. मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया है कि पश्चिम-मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ इलाकों को छोड़कर ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है. इसके अलावा कुछ हिस्सों को छोड़कर ज्यादातर क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान सामान्य से ज्यादा रह सकता है. 

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IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि देश में जनवरी में औसतन 4.5 मिमी बारिश हुई. जनवरी में देश का औसत तापमान 18.98 डिग्री सेल्सियस रहा, जो 1901 के बाद से इस महीने का तीसरा सबसे अधिक तापमान था. बीते साल 2024 का अक्टूबर भी 1901 के बाद से सबसे गर्म महीना रहा, जिसमें औसतन तापमान सामान्य से लगभग 1.2 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा. 

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फसलों के लिए बारिश जरूरी

मौसम विभाग ने पहले अनुमान जताया था कि जनवरी से मार्च के बीच उत्तर भारत में बारिश सामान्य से कम होगी, जो एलपीए 184.3 मिमी के 86 प्रतिशत से भी कम होगी. पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी राज्य सर्दियों (अक्टूबर से दिसंबर) में गेहूं, मटर, चना और जौ जैसी रबी फसलों की खेती करते हैं और गर्मियों (अप्रैल से जून) में उनकी कटाई करते हैं. पश्चिमी विक्षोभ के कारण सर्दियों में होना वाली बारिश इन फसलों की वृद्धि के लिए बेहद खास है.

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