
अजय शास्त्री, बेगूसराय. देश मे होली की अपनी परंपरा है। जिसे लोग अलग अलग जगहों पर अलग अलग तरीके से मनाते है। पर इन सब से अलग बेगूसराय के मटिहानी मे सैकड़ो बर्षो से चली आ रही होली की एक अनोखी परंपरा इसे अलग बनाती है, जो बहुत ही निराली है। दो दिनों तक चलने वाली इस होली को लोग रंग बरसाओ होली के नाम से पुकारते है।
सात अलग अलग कुओं पर खेली जाने वाली इस होली मे गावं के हजारों लोग जात-पात,धर्म मजहब और आपसी विवाद को भूल कर गावं के कुआँ पर एक साथ जमा होते है। फिर दो हिस्से मे बंट कर घंटों एक दुसरे पर रंगों की बौछार करते हैं। जिसमें क्या बच्चे क्या बूढ़े क्या जवान हर कोई दुसरे पक्ष को पीछे हटाने के लिए पिचकारी से रंगों का बौछार करते हैं और जीतने वाले पक्ष को पुरस्कृत किया जाता है।
मारवाड़ी परिवार ने की थी शुरुआत
मान्यता है कि वर्षों पहले किसी मारवाड़ी परिवार के द्वारा गावं के कुंआ के पास पीतल की दो बड़ी पिचकारी से इस होली की शुरुआत की गई थी, जो आज भी कायम हैं। इलाके के लोग इसे बृन्दावन और बरसाने की होली की होली की तर्ज पर मनाये जानी वाली होली के नाम से पुकारते है। आपको बताते चले कि मटिहानी गांव में होली के दौरान सात कुओं पर दो दिनों तक रंग-गुलाल की बरसात होती है।
गांव के सात कुआं के पास कुओं के दो तरफ रंग रखने के लिए नाद, ड्रम व बाल्टी आदि रखे जाते हैं। लोग घरों से पुरानी पिचकारियां ढूंढकर निकालते और दुरूस्त करते हैं। बांस की पिचकारी भी तैयार करते हैं। कुछ लोग साइकिल में हवा भरने वाले पंप को ही पिचकारी बना लेते हैं। सात कुआं पर युवाओ की प्रतियोगिता होती हैं।
लड़कियों के बीच भी होती है प्रतियोगिता
दो कुआों पर लड़कियो के बीच पिचकारी चलाने प्रतियोगिता होती है। लोगों ने बताया की वे बचपन से यह होली देखते आ रहे हैं। वे बताते हैं कि यहां होली की सामूहिक परंपरा की शुरूआत एक मारवाड़ी परिवार ने 80 साल पहले की थी। वह परिवार राजस्थान से बड़ी-बड़ी मारवाड़ पिचकारी लेकर आया था, जिनसे उन्होंने कुओं पर सामूहिक होली की शुरूआत कराई थी। सात कुओं पर दो दिन तक मनाई जाती हैं।
लोग बताते हैं कि गांव में होली मनाने के लिए सात कुएं चिह्नित हैं। होली के दिन पूरे गांव के लोग पांच कुओं पर जमा होकर एक-दूसरे पर रंगों की बौछार करते हैं, जबकि होली के अगले दिन शेष दो कुओं पर पर्व मनाकर इसका समापन किया जाता है। सम्मान में होती हैं कार्यक्रम होली के बाद रंग बरसाओ टीम व ग्रामीण कलाकारों को सम्मानित किया जाता है। इस होली को देखने आसपास के लोग आते हैं।
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