रायपुर। बस्तर अंचल के नक्सल पीड़ितों ने सोमवार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और राज्यपाल रमेन डेका से मुलाकात कर सुरक्षाबलों द्वारा छत्तीसगढ़-तेलंगाना राज्य की सरहद पर स्थित कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर चलाए जा रहे एंटी-नक्सल ऑपरेशन को जारी रखने की मांग की। पीड़ितों ने आवेदन सौंपते हुए कहा कि नक्सलियों की हिंसा से उन्होंने अपनों को खोया है, कोई आंखों की रोशनी गंवा चुका है तो कोई विकलांग हो गया है, लेकिन वे चाहते हैं कि कर्रेगुट्टा जैसे दुर्गम इलाकों में भी मुठभेड़ अभियान रुकना नहीं चाहिए।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस अवसर पर कहा, “आज सुकमा, बीजापुर और कांकेर क्षेत्र के नक्सल पीड़ितों ने मुझसे मुलाकात कर एंटी-नक्सल ऑपरेशन को जारी रखने का अनुरोध किया। ये वही लोग हैं जो नक्सली हिंसा में घायल हुए, अपंग हुए, जिन्होंने अपनों को खोया। लेकिन दुख की बात यह है कि जो लोग दिल्ली तक इस अभियान को बंद कराने की कोशिश कर रहे हैं, वे कभी इन पीड़ितों से मिलने तक नहीं आए और न ही इनकी पीड़ा सुनी।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि पीड़ितों ने राज्यपाल से भी भेंट कर यही मांग दोहराई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार इन नागरिकों की सुरक्षा और न्याय के लिए प्रतिबद्ध है और नक्सल विरोधी अभियान को और सशक्त रूप से जारी रखा जाएगा।

यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब हाल ही में बीजापुर के कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में सुरक्षाबलों का अब तक का सबसे बड़ा एंटी-नक्सल ऑपरेशन जारी है, जिसमें कई नक्सलियों के मारे गए है। 280 किमी के दायरे में कर्रेगुट्टा, दुर्गमगुट्टा, पुजारी कांकेर की पहाड़ियां और यह पूरा इलाका फैला हुआ है। जो नक्सली लीडर हिड़मा, देवा, दामोदर, विकास, सुजाता, आजाद जैसे बड़े हार्डकोर नक्सलियों का ठिकाना माना जाता है।
यहां LMG, AK-47, इंसास, SLR जैसे आधुनिक हथियारों से लैस करीब 1500 से 2000 नक्सलियों की मौजूदगी है। जिन्हें ढूंढने, एनकाउंटर करने छत्तीसगढ़ से DRG, CRPF, STF, कोबरा, बस्तर फाइटर्स के 10 हजार से ज्यादा जवान ऑपरेशन पर निकले हैं। हालांकि, तेलंगाना बैकफुट पर है। यहां स्थित CRPF की बटालियन केंद्र के निर्देश पर ऑपरेशन में शामिल है।
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