Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में साफ कर दिया कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध अपराध नहीं, अधिकार है। राष्ट्रीय राजमार्ग-62 पर प्रदर्शन के चलते 53 किसानों पर दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए न्यायमूर्ति फरजंद अली ने कहा कि विरोध करना नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है, जिसे अपराध मानकर दंडित नहीं किया जा सकता।

यह फैसला अजयपाल सिंह सहित अन्य किसानों की ओर से दायर याचिका पर सुनाया गया, जिसमें उन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बाद अनावश्यक रूप से दर्ज आपराधिक मामलों को चुनौती दी थी।

क्या था मामला?

पूरा विवाद जवाई बांध से पानी वितरण को लेकर था। परंपरागत रूप से इस पर चर्चा की बैठक सुमेरपुर के बांध निरीक्षण भवन में होती थी, लेकिन 2 जनवरी 2022 को इसे जोधपुर शिफ्ट कर दिया गया। इससे किसानों को अपनी बात रखने का अवसर नहीं मिला और वे आक्रोशित हो उठे।

इसके विरोध में 9 अक्टूबर 2022 को करीब 800 किसान NH-62 पर एकत्रित हुए और शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया। इसके बाद भी प्रशासन ने 10 और 14 अक्टूबर को किसानों की अनदेखी कर पाली में बैठकें कीं, जिससे आंदोलन और तेज हो गया।

कोई हिंसा नहीं, फिर भी दर्ज हुई एफआईआर

पुलिस जांच में स्पष्ट हुआ कि प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण था, ना कोई हिंसा हुई, ना ही किसी को चोट आई, ना सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा इसके बावजूद, किसानों पर IPC की धारा 117, 143, 283, 353 और राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम की धारा 8बी के तहत अवरोध और सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज कर दी गई।

हाईकोर्ट ने क्या कहा?

जस्टिस फरजंद अली ने अपने आदेश में दो टूक कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना लोकतांत्रिक व्यवस्था की आत्मा है। केवल इसलिए कि प्रदर्शन किसी सरकारी व्यवस्था को चुनौती देता है, उसे अपराध नहीं ठहराया जा सकता।

उन्होंने थाना सांडेराव, जिला पाली को निर्देश दिया कि वह एफआईआर को ट्रायल कोर्ट में ‘नकारात्मक अंतिम रिपोर्ट’ के रूप में पेश करे और मामले को समाप्त किया जाए।

लोकतंत्र की जीत

इस आदेश के जरिए अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विरोध की आवाज को दबाना लोकतंत्र की भावना के विरुद्ध है। कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में असहमति कोई कमजोरी नहीं, बल्कि शक्ति का संकेत है।

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