Rajasthan News: राजस्थान के कोटा मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कर रहे छात्र सुनील बैरवा की रहस्यमयी मौत के करीब तीन महीने बाद अब इस मामले ने नया मोड़ ले लिया है। शुरू में आत्महत्या मानकर बंद कर दी गई जांच के बाद अब पुलिस ने मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य, दो छात्र, हॉस्टल वार्डन और प्रबंधन सहित अन्य के खिलाफ हत्या और एससी/एसटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है।

यह कार्रवाई मृतक छात्र के पिता कजोड़मल बैरवा की ओर से दी गई विस्तृत शिकायत और मानवाधिकार आयोग व एससी/एसटी आयोग के हस्तक्षेप के बाद की गई है। मामले की जांच अब पुलिस उपाधीक्षक (चतुर्थ) मनीष शर्मा को सौंपी गई है।

क्या है पूरा मामला?

जयपुर जिले के बस्ती गांव निवासी सुनील बैरवा कोटा मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस द्वितीय वर्ष का छात्र था। वह कॉलेज परिसर के इंटर्न हॉस्टल में रहता था।
5 मार्च को उसकी लाश कमरे में संदिग्ध हालत में पाई गई। प्रारंभिक रिपोर्ट में इसे आत्महत्या बताया गया, क्योंकि कमरे से एक सुसाइड नोट भी मिला था, जिसमें उसने माता-पिता से माफी मांगते हुए खुद को उनके सपनों पर खरा न उतरने वाला बताया था।

मगर अब तीन महीने बाद पिता ने इस सुसाइड थ्योरी को सिरे से खारिज करते हुए हत्या की आशंका जताई है।

पिता ने लगाए गंभीर आरोप

मृतक के पिता कजोड़मल का आरोप है कि:

  • सुनील के कपड़े खून से सने हुए थे
  • चेहरे पर चोट के निशान थे
  • इन तथ्यों के बावजूद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया
  • बेटे की मौत को जबरन आत्महत्या बताया गया ताकि सच को दबाया जा सके

पिता ने कहा, “जब मैं घटना के बाद कोटा पहुंचा, तो मानसिक रूप से व्यथित था और पोस्टमार्टम कराने की प्रक्रिया में वास्तविक तथ्यों पर ध्यान नहीं दे पाया। बाद में जब फोटो और वीडियो देखे तो साफ हो गया कि मेरे बेटे की मौत प्राकृतिक या आत्महत्या नहीं थी।”

किन लोगों पर दर्ज हुई है FIR?

एफआईआर में जिन लोगों के नाम हैं:

  1. डॉ. संगीता सक्सेना – प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज कोटा
  2. आदर्श फौजदार – छात्र (मेडिको)
  3. संदीप मान – छात्र (मेडिको)
  4. हॉस्टल वार्डन (नाम प्रकाश में नहीं)
  5. कॉलेज प्रबंधन के अन्य जिम्मेदार पदाधिकारी
  6. अन्य अज्ञात

इन सभी पर धारा 302 (हत्या), 120बी (षड्यंत्र), और एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।

शिकायत के बाद शुरू हुई कार्रवाई

परिजनों ने पहले कोटा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा, लेकिन पुलिस ने तब इस मामले को आत्महत्या मानते हुए बंद कर दिया था। इसके बाद कजोड़मल ने राज्य मानवाधिकार आयोग, एससी/एसटी आयोग, स्थानीय विधायक और उपमुख्यमंत्री से मिलकर न्याय की मांग की। आयोगों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए, जिसके बाद यह केस दोबारा खुला।

पुलिस जांच में अब क्या होगा?

जांच अधिकारी मनीष शर्मा के अनुसार:

  • घटनास्थल की दोबारा जांच होगी
  • पोस्टमार्टम रिपोर्ट की पुनरावलोकन प्रक्रिया शुरू की जाएगी
  • सीसीटीवी फुटेज, कॉल डिटेल्स, हॉस्टल रजिस्टर और मोबाइल डेटा को फिर से खंगाला जाएगा
  • जिन छात्रों पर आरोप हैं, उनसे फिर से विस्तृत पूछताछ की जाएगी
  • जांच में अगर मेडिकल स्टाफ या कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही या मिलीभगत सामने आती है तो गिरफ्तारी की भी कार्रवाई हो सकती है।

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