पटना. बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर विवादित बयान देना भारी पड़ रहा है. तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएम मोदी को पॉकेटमार बताया था. अब एनडीए के नेता तेजस्वी यादव पर चौतरफा वार कर रहे हैं.

तेजस्वी का जन्म ही अराजकता के समय हुआ

बिहार सरकार के मंत्री नितिन नवीन ने राजद नेता तेजस्वी यादव द्वारा प्रधानमंत्री पर दिए गए विवादित बयान पर कहा कि जिस व्यक्ति की उत्पत्ति भ्रष्टाचार को देखकर हुई हो, जिस व्यक्ति का जन्म ही अराजकता के समय में हुआ हो, जिस व्यक्ति की उत्पत्ति, आप कह सकते हैं, जॉब फॉर जमीन घोटाले या अलकतरा घोटाले जैसे मामलों को देखकर हुई हो, उसकी मानसिकता क्या होगी?

निवाले और जानवरों का चारा छीनने वाले- मंत्री नितिन नवीन

नितिन नवीन ने कहा कि वह हमेशा लोगों के निवाले और जानवरों का चारा छीनने वाले रहे हैं. उनकी उत्पत्ति ही ऐसे हुई है तो उनकी सोच और शब्द कैसे होंगे? मैं तेजस्वी यादव को चेतावनी देता हूं कि अपनी भाषा की मर्यादा को ठीक करें. जिस व्यक्ति ने गरीब के घर में अनाज पहुंचाया, गरीब के खाते में पैसा पहुंचाया, उसका अपमान करने की कोशिश अगर आप करेंगे, तो बिहार का युवा आपको इसका करारा जवाब देगा.

जनता ने कल एक जाहिल नेता की बात सुनी

तेजस्वी के बयान पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि पूरे देश, दुनिया और बिहार की जनता ने कल एक जाहिल नेता की बात सुनी. अभी तक हम लोग सोचते थे कि वह पढ़ा-लिखा नहीं है, लेकिन जिस तरह से तेजस्वी यादव ने कल जाहिलों की तरह बात की, उन्होंने साबित कर दिया कि इन लोगों के संस्कार और संस्कृति क्या हैं.

विक्षिप्त मानसिकता का परिचय दिया

दिलीप जायसवान ने कहा कि मैंने भी एक बार कहा था कि गाली हम भी जानते हैं, हमने भी सुनी हैं, लेकिन अपने संस्कारों के तहत हम उस भाषा का उपयोग नहीं करते. कल विपक्ष ने अपनी विक्षिप्त मानसिकता का परिचय दिया है. पूरा बिहार और देश तेजस्वी यादव जैसे नेता पर हंस रहा है और मजाक उड़ा रहा है कि क्या राजनीति में इतने घटिया स्तर का व्यक्ति भी राजनीति कर सकता है.

जैसा सीखा-वैसा ही बोलता है- मंत्री मंगल पाण्डेय

वहीं मंत्री मंगल पांडेय ने तेजस्वी यादव के विवादित बयान पर कहा कि राजनीति में मर्यादा का बहुत महत्व है. जिस पार्टी और परिवार से वह (तेजस्वी यादव) आते हैं, उसके बारे में मुझे बताने की जरूरत नहीं कि उस पार्टी और परिवार की भाषा की मर्यादा हमेशा कैसी रही है. उन्होंने जो अपनी पार्टी और परिवार से सीखा है, वही करेंगे. जैसा सीखा है, वैसा ही बोलते हैं. उन्हें सोनिया गांधी से पूछना चाहिए, राहुल गांधी से पूछना चाहिए. इसके बाद उन्हें कोई टिप्पणी करनी चाहिए कि उस परिवार के दामाद के बारे में उनके क्या विचार हैं.

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