CM Nitish Kumar: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जिन्हें ‘सुशासन बाबू’ के नाम से जाना जाता है, 2025 के विधानसभा चुनाव में अपनी सत्ता बचाने के लिए एक बार फिर मैदान में हैं. हालांकि, उनकी उम्र, स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं और बिहार की जटिल राजनीतिक स्थिति ने उनके भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं. ऐसे में अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या नीतीश कुमार 2025 में अपनी सियासी पकड़ बनाए रख पाएंगे, या बिहार की राजनीति नया मोड़ लेगी?

लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं नीतीश

नीतीश कुमार बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं, जिन्होंने 2005 से अब तक कई बार सत्ता संभाली है. उनकी पार्टी जदयू ने बिहार में विकास और सामाजिक न्याय के एजेंडे को आगे बढ़ाया, जिसके कारण उन्हें लोगों का व्यापक समर्थन मिला. 2024 के लोकसभा चुनाव में जदयू ने बीजेपी के बराबर सीटें जीतकर नीतीश की राजनीतिक ताकत का लोहा मनवाया.

वर्तमान में नीतीश एनडीए गठबंधन के साथ हैं, जिसमें बीजेपी, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, और अन्य छोटे दल शामिल हैं. बीजेपी समेत अन्य दलों ने यह स्पष्ट किया है कि 2025 का विधानसभा चुनाव नीतीश के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. जदयू ने भी अपने प्रचार में नीतीश को केंद्र में रखा है, जिसमें नारा “जब बात बिहार की हो, नाम सिर्फ नीतीश कुमार का हो” प्रमुखता से उभरा है, जो उन्होंने अपनी प्रगति यात्रा के दौरान दिया था.

नीतीश के स्वास्थ्य पर उठ रहा सवाल

हालांकि, विपक्षी दल, खासकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस, नीतीश की रणनीतियों और गठबंधन बदलने की प्रवृत्ति पर सवाल उठाते रहे हैं. राजद नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश के स्वास्थ्य और नेतृत्व पर तीखे हमले किए हैं, दावा करते हुए कि नीतीश “थक चुके हैं” और “होश में नहीं हैं.” इसके अलावा, जनसुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने भी नीतीश के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सवाल उठाए हैं, जिससे उनके नेतृत्व को लेकर बहस तेज हो गई है.

रद्द करनी पड़ी थी प्रगति यात्रा

हाल के महीनों में नीतीश कुमार की सेहत को लेकर खबरें सुर्खियों में रही हैं. जनवरी 2025 में उनकी तबीयत बिगड़ने की खबर आई, जिसके कारण उनकी प्रगति यात्रा का पूर्णिया दौरा रद्द करना पड़ा. सूत्रों के अनुसार, उन्हें सर्दी और बुखार की शिकायत थी, और डॉक्टरों की सलाह पर उनके सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए. इसके अलावा, गणतंत्र दिवस 2025 के कार्यक्रमों में उनकी अनुपस्थिति ने भी स्वास्थ्य संबंधी अटकलों को हवा दी.

वहीं, कई मौकों पर उनके हाव भाव को देखते हुए ‘जैसे राष्ट्रगान के दौरान हंसने और शहीदों को श्रद्धांजलि देते समय ताली बजाना’ ने भी उनके स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र की ओर इशारा किया. हालांकि, उनके बेटे निशांत ने इन दावों का खंडन करते हुए कहा कि, उनके पिता यानी की सीएम नीतीश “100% स्वस्थ और पूरी तरह फिट” हैं और बिहार के विकास के लिए सक्रिय हैं.

क्या नीतीश बचाएंगे अपनी सत्ता?

नीतीश कुमार की सत्ता बचाने की संभावनाएं कई कारकों पर निर्भर करती हैं, जैसे-

स्वास्थ्य और सक्रियता: नीतीश की उम्र और स्वास्थ्य उनकी प्रचार क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं. यदि उनकी प्रगति यात्रा और जनसंपर्क प्रभावी रहता है, तो यह उनके पक्ष में जाएगा.

गठबंधन की एकजुटता: एनडीए की एकजुटता नीतीश के लिए महत्वपूर्ण है. बीजेपी के कुछ नेताओं के बयानों ने भले ही संदेह पैदा किया हो, लेकिन अन्य नेताओं ने नीतीश के नेतृत्व की पुष्टि की है.

विपक्ष की रणनीति: राजद और कांग्रेस नीतीश की विश्वसनीयता और स्वास्थ्य को मुद्दा बना रहे हैं. तेजस्वी यादव की युवा छवि और आक्रामक प्रचार नीतीश के लिए चुनौती हो सकता है.

जातिगत समीकरण: बिहार में जातिगत समीकरण अहम भूमिका निभाते हैं. नीतीश की कुर्मी-कोइरी और अन्य ओबीसी समुदायों में पकड़ मजबूत है, लेकिन राजद का यादव और मुस्लिम वोट बैंक उनके लिए खतरा है. जदयू नेता ललन सिंह ने स्वीकार किया कि मुस्लिम वोटर उनकी पार्टी को कम समर्थन देते हैं.

विकास का मुद्दा: नीतीश की विकासोन्मुखी छवि और उनके कार्यकाल में बिहार की प्रगति, जैसे सड़क, बिजली, और शिक्षा में सुधार, उनके पक्ष में एक मजबूत तर्क है.

क्या नए नेतृत्व में उभरेगा बिहार?

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश की उम्र और स्वास्थ्य विपक्ष के लिए एक बड़ा हथियार बन सकता है, खासकर अगर तेजस्वी यादव युवा मतदाताओं को लुभाने में कामयाब रहे. ऐसे में अब नीतीश कुमार की सत्ता बचाने की संभावनाएं उनकी रणनीतिक कुशलता, एनडीए की एकजुटता, और जनता के बीच उनकी स्वीकार्यता पर टिकी हैं. क्या नीतीश कुमार एक बार फिर अपनी सियासी चाल से सबको चौंकाएंगे, या बिहार में नया नेतृत्व उभरेगा? इस सवाल का जवाब 2025 का चुनाव अपने परिणाम के साथ लेकर ही आएगा.

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